2 अरे दोष लगानेवाले, तू चाहे जो भी हो,+ अगर तू दूसरे पर दोष लगाता है, तो तू खुद को भी सही नहीं ठहरा सकता। जब तू दूसरे को दोषी ठहराता है, तो खुद भी सज़ा के लायक ठहरता है, क्योंकि तू जिन कामों के लिए दूसरे को दोषी ठहराता है, खुद भी वही काम करता रहता है।+