12 अगर दूसरे तुम पर यह हक जता सकते हैं, तो क्या हमारा और भी ज़्यादा हक नहीं बनता? फिर भी, हमने अपना हक* नहीं जताया।+ मगर हम सबकुछ सह रहे हैं ताकि हमारी वजह से मसीह की खुशखबरी फैलने में कोई रुकावट न आए।+
12 अगर दूसरे तुम पर यह हक जता सकते हैं, तो क्या हमारा और भी ज़्यादा हक नहीं बनता? फिर भी, हमने अपना हक* नहीं जताया।+ मगर हम सबकुछ सह रहे हैं ताकि हमारी वजह से मसीह की खुशखबरी फैलने में कोई रुकावट न आए।+