11 भाइयो, जहाँ तक मेरी बात है, अगर मैं अब भी खतना कराने का प्रचार कर रहा हूँ तो मुझ पर आज तक ज़ुल्म क्यों ढाए जा रहे हैं? अगर मैं ऐसा कर रहा होता, तो यातना के काठ* की वजह से लोगों को ठेस पहुँचने की गुंजाइश ही नहीं रहती।+
11 भाइयो, जहाँ तक मेरी बात है, अगर मैं अब भी खतना कराने का प्रचार कर रहा हूँ तो मुझ पर आज तक ज़ुल्म क्यों ढाए जा रहे हैं? अगर मैं ऐसा कर रहा होता, तो यातना के काठ* की वजह से लोगों को ठेस पहुँचने की गुंजाइश ही नहीं रहती।+