2 और तुम अपने पापों में पड़े हुए थे और इस दुनिया*+ के तरीके से जीते थे। तुम उस राजा की मानते हुए चलते थे जो दुनिया की फितरत+ के अधिकार पर राज करता है।+ यह फितरत चारों तरफ हवा की तरह फैली हुई है और आज्ञा न माननेवालों पर असर करती है।
2 और तुम अपने पापों में पड़े हुए थे और इस दुनिया*+ के तरीके से जीते थे। तुम उस राजा की मानते हुए चलते थे जो दुनिया की फितरत+ के अधिकार पर राज करता है।+ यह फितरत चारों तरफ हवा की तरह फैली हुई है और आज्ञा न माननेवालों पर असर करती है।