15 इसलिए भाइयो, मज़बूत खड़े रहो+ और जो बातें* तुम्हें सिखायी गयी थीं उन्हें मानते रहो,+ चाहे वे तुम्हें ज़बानी तौर पर सिखायी गयी थीं या हमारी चिट्ठी के ज़रिए।
15 इसलिए भाइयो, मज़बूत खड़े रहो+ और जो बातें* तुम्हें सिखायी गयी थीं उन्हें मानते रहो,+ चाहे वे तुम्हें ज़बानी तौर पर सिखायी गयी थीं या हमारी चिट्ठी के ज़रिए।