7 इसलिए एक लंबे समय बाद वह दाविद के भजन में किसी दिन को “आज का दिन” कहता है, ठीक जैसा कि इस चिट्ठी में पहले कहा गया है, “आज अगर तुम उसकी आवाज़ सुनो, तो अपना दिल कठोर मत कर लेना।”+
7 इसलिए एक लंबे समय बाद वह दाविद के भजन में किसी दिन को “आज का दिन” कहता है, ठीक जैसा कि इस चिट्ठी में पहले कहा गया है, “आज अगर तुम उसकी आवाज़ सुनो, तो अपना दिल कठोर मत कर लेना।”+