15 फिर एक और स्वर्गदूत मंदिर के पवित्र-स्थान में से निकला और जो बादल पर बैठा हुआ था, उससे बुलंद आवाज़ में कहा, “अपना हँसिया चला और कटाई कर क्योंकि कटाई का वक्त आ गया है और धरती की फसल पूरी तरह पक चुकी है।”+
15 फिर एक और स्वर्गदूत मंदिर के पवित्र-स्थान में से निकला और जो बादल पर बैठा हुआ था, उससे बुलंद आवाज़ में कहा, “अपना हँसिया चला और कटाई कर क्योंकि कटाई का वक्त आ गया है और धरती की फसल पूरी तरह पक चुकी है।”+