12 और मैंने मरे हुओं को यानी छोटे-बड़े सबको राजगद्दी के सामने खड़े देखा और किताबें* खोली गयीं। फिर एक और किताब* खोली गयी जो जीवन की किताब है।+ उन किताबों में लिखी बातों के मुताबिक, मरे हुओं का उनके कामों के हिसाब से न्याय किया गया।+
12 और मैंने मरे हुओं को यानी छोटे-बड़े सबको राजगद्दी के सामने खड़े देखा और किताबें* खोली गयीं। फिर एक और किताब* खोली गयी जो जीवन की किताब है।+ उन किताबों में लिखी बातों के मुताबिक, मरे हुओं का उनके कामों के हिसाब से न्याय किया गया।+