18 हर दिन मेरे हुक्म पर एक बैल, छ: मोटी-ताज़ी भेड़ें और चिड़ियाँ पकायी जाती थीं। हर दसवें दिन तरह-तरह की दाख-मदिरा बहुतायत में पेश की जाती थी। मगर मैंने कभी-भी राज्यपाल को मिलनेवाला भत्ता नहीं माँगा क्योंकि लोग पहले से राजा की सेवा में पिसे जा रहे थे।