2 “अपनी नज़रें उठाकर उन सूनी पहाड़ियों को देख।
क्या ऐसी कोई जगह है जहाँ तेरे साथ बलात्कार न हुआ हो?
तू उनके इंतज़ार में रास्ते किनारे बैठा करती थी,
जैसे कोई खानाबदोश वीराने में बैठता है।
तू अपने वेश्या के कामों से और अपनी दुष्टता से
देश को दूषित करती रहती है।+