21 “हे खुराजीन, धिक्कार है तुझ पर! हे बैतसैदा, धिक्कार है तुझ पर! क्योंकि जो शक्तिशाली काम तुममें हुए थे, अगर वे सोर और सीदोन में हुए होते, तो वहाँ के लोगों ने टाट ओढ़कर और राख में बैठकर कब का पश्चाताप कर लिया होता।+
21 “हे खुराजीन, तुझ पर हाय! हे बैतसैदा, तुझ पर हाय! क्योंकि जो शक्तिशाली काम तुममें हुए थे, अगर वे सोर और सीदोन* में हुए होते, तो वहाँ के लोगों ने टाट ओढ़कर और राख में बैठकर कब का पश्चाताप कर लिया होता।