6 और हमने इंसानों से वाह-वाही नहीं लूटनी चाही, न तुमसे न ही दूसरों से, जबकि अगर हम चाहते तो मसीह के प्रेषित होने के नाते तुम पर एक खर्चीला बोझ बन सकते थे।+
6 न ही हमने किसी इंसान से मान-सम्मान पाना चाहा। न तुमसे न ही दूसरों से, जबकि अगर हम चाहते तो मसीह के प्रेषित* होने के नाते तुम पर एक खर्चीला बोझ बन सकते थे।