5 हम कोई पराए नहीं, उनके अपने भाई हैं। हमारे बच्चे उनके बच्चों की तरह हैं। फिर भी हमें अपने बेटे-बेटियों को उनकी गुलामी में देना पड़ रहा है। हमारी कुछ बेटियाँ तो पहले से उनकी गुलामी में हैं।+ हम चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते क्योंकि हमारे खेत और अंगूरों के बाग अब हमारे नहीं रहे।”