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मत्ती 22:37नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
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37 उसने कहा: “ ‘तुझे अपने परमेश्वर यहोवा से अपने पूरे दिल, अपनी पूरी जान और अपने पूरे दिमाग से प्यार करना है।’
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मत्ती अध्ययन नोट—अध्याय 22पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
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यहोवा: यहाँ व्य 6:5 की बात लिखी है। मूल इब्रानी पाठ में इस आयत में परमेश्वर के नाम के लिए चार इब्रानी व्यंजन (हिंदी में य-ह-व-ह) इस्तेमाल हुए हैं।—अति. ग देखें।
दिल: लाक्षणिक भाषा में “दिल” आम तौर पर अंदरूनी इंसान को दर्शाता है, जिसमें उसकी भावनाएँ, उसका रवैया, उसके इरादे और उसके दिमाग की सोच भी शामिल है। लेकिन जब इसका ज़िक्र “जान” और “दिमाग” के साथ होता है तो ज़ाहिर है कि इसका एक खास मतलब होता है और वह है, एक इंसान की भावनाएँ और इच्छाएँ। यहाँ इस्तेमाल हुए तीनों शब्दों (दिल, जान और दिमाग) के मतलब पूरी तरह अलग नहीं हैं बल्कि उनके कुछ मतलब मिलते-जुलते हैं। इन तीनों शब्दों का एक-साथ इस्तेमाल करके इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि एक इंसान को दिलो-जान से, पूरी तरह परमेश्वर से प्यार करना चाहिए।
जान: शब्दावली में “जीवन” देखें।
दिमाग: अगर एक इंसान परमेश्वर को जानना और उसके लिए अपना प्यार बढ़ाना चाहता है तो उसे अपनी दिमागी काबिलीयतें इस्तेमाल करनी चाहिए जिनमें उसकी सोच भी शामिल है। (यूह 17:3, फु.; रोम 12:1) यहाँ व्य 6:5 की बात लिखी है और मूल इब्रानी पाठ में इस आयत में तीन शब्द इस्तेमाल हुए हैं, ‘दिल, जान और ताकत।’ लेकिन जब मत्ती ने इस आयत का अनुवाद यूनानी में किया तो उसने “दिमाग” शब्द इस्तेमाल किया जबकि इब्रानी में “दिमाग” शब्द नहीं था। उसने ऐसा क्यों किया? इसकी कई वजह हो सकती हैं। एक वजह है, प्राचीन इब्रानी भाषा में “दिल” (या “मन”) के इब्रानी शब्द में अकसर “दिमाग” का भाव भी शामिल होता था। (व्य 29:4; भज 26:2; 64:6; इसी आयत में दिल पर अध्ययन नोट देखें।) इब्रानी में “दिमाग” के लिए अलग-से कोई शब्द नहीं था, लेकिन यूनानी में इसके लिए शब्द था। इसलिए कई जगहों पर इब्रानी पाठ में जहाँ शब्द “दिल” और “मन” का मतलब दिमागी काबिलीयत है, वहाँ यूनानी सेप्टुआजेंट में “दिमाग” या “सोच” का यूनानी शब्द इस्तेमाल हुआ है। (उत 8:21; 17:17; नीत 2:10; यश 14:13) मत्ती ने “ताकत” शब्द क्यों नहीं लिखा? क्योंकि “ताकत” के इब्रानी शब्द में दिमागी ताकत भी शामिल हो सकती है। शायद इसलिए उसने “ताकत” शब्द छोड़ दिया। वजह चाहे जो भी रही हो, इन इब्रानी और यूनानी शब्दों के कुछ मतलब मिलते-जुलते थे और कुछ मतलब बिलकुल अलग थे, इसलिए खुशखबरी की किताबों के लेखकों ने व्यवस्थाविवरण की बात लिखते वक्त एक-जैसे शब्द इस्तेमाल नहीं किए।—मर 12:30; लूक 10:27 के अध्ययन नोट देखें।
तुम . . . प्यार करना: यहाँ यूनानी शब्द अघापेओ का अनुवाद “प्यार” किया गया है। यह क्रिया और इससे जुड़ी संज्ञा अघापि (प्यार) मसीही यूनानी शास्त्र में 250 से ज़्यादा बार आते हैं। 1यूह 4:8 में लिखा है, “परमेश्वर प्यार है” और यहाँ संज्ञा अघापि इस्तेमाल हुई है। बाइबल में बताया है कि यहोवा परमेश्वर सिद्धांतों पर आधारित निस्वार्थ प्यार करने में सबसे बेहतरीन मिसाल है। वह खुलकर अपना प्यार ज़ाहिर करता है और जो भी करता है, उससे पता चलता है कि उसे हमारी कितनी फिक्र है। परमेश्वर सिर्फ भावनाओं में बहकर प्यार नहीं करता, बल्कि इसलिए अपना प्यार जताता है क्योंकि वह हर हाल में हमारा साथ निभाना चाहता है। जब कोई व्यक्ति इस तरह का निस्वार्थ प्यार ज़ाहिर करता है, तो वह दिखाता है कि वह अपनी इच्छा से परमेश्वर की तरह बनना चाहता है। (इफ 5:1) इंसान ऐसा प्यार ज़ाहिर करने के काबिल हैं, इसी वजह से इस आयत और आगे की आयतों में प्यार करने की दो बड़ी आज्ञाएँ दी गयी हैं। इस आयत में यीशु व्य 6:5 में लिखी बात दोहरा रहा था। इब्रानी शास्त्र में प्यार का गुण दर्शाने के लिए खास तौर पर क्रिया ‘अहेव’ या ‘अहाव’ (प्यार करना) और संज्ञा ‘अहावा’ (प्यार) इस्तेमाल हुए हैं। ऊपर दिए यूनानी शब्दों की तरह इन शब्दों से प्यार के अलग-अलग मायने पता चलते हैं। यहोवा से प्यार करने की बात करें, तो इन शब्दों से एक व्यक्ति की इच्छा पता चलती है कि वह खुद को पूरी तरह से परमेश्वर को दे देना चाहता है और सिर्फ उसी की भक्ति करना चाहता है। इस तरह का प्यार ज़ाहिर करने में यीशु सबसे उम्दा मिसाल है। उसने दिखाया कि परमेश्वर से प्यार करने का मतलब उससे सिर्फ लगाव रखना नहीं है, बल्कि इसमें और भी बातें शामिल हैं। यह प्यार एक व्यक्ति की पूरी ज़िंदगी में दिखता है, जैसे उसकी सोच, बातों और कामों में।—यूह 3:16 का अध्ययन नोट देखें।
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