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  • लूका 3:14
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • 14 जो सेना में थे उन्होंने यूहन्‍ना से पूछा, “हमें क्या करना चाहिए?” उसने कहा, “किसी को मत सताओ* या किसी पर झूठा इलज़ाम मत लगाओ।+ मगर तुम्हें जो रोज़ी-रोटी* मिलती है उसी में खुश रहो।”

  • लूका 3:14
    नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
    • 14 जो फौजी सेवा में थे उन्होंने यूहन्‍ना से पूछा: “हमें क्या करना चाहिए?” उसने कहा: “किसी को मत सताओ या किसी पर झूठा इलज़ाम न लगाओ। मगर तुम्हें जो रोज़ी-रोटी मिलती है उसी में संतोष करो।”

  • लूका अध्ययन नोट—अध्याय 3
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
    • 3:14

      जो सेना में थे: ज़ाहिर है कि ये यहूदी सैनिक थे जिनका शायद काम था, सिपाहियों की तरह जाँच-पड़ताल करना, व्यापारियों से चुंगी लेना, या लोगों से कर वसूलना। यहूदी सैनिक उस राष्ट्र के सदस्य थे, जिसके साथ यहोवा परमेश्‍वर ने करार किया था। अगर वे सैनिक अपने पापों के पश्‍चाताप की निशानी के तौर पर बपतिस्मा लेना चाहते थे तो उन्हें अपना चालचलन बदलना था। उन्हें लोगों से पैसे ऐंठना और दूसरे अपराध बंद करने थे जिनके लिए आम तौर पर सैनिक बदनाम थे।​—मत 3:8.

      किसी पर झूठा इलज़ाम मत लगाओ: ‘झूठा इलज़ाम लगाने’ की यूनानी क्रिया है, साइकोफैंटीयो। इसका अनुवाद लूक 19:8 में “लूटा” और “झूठ बोलकर लूटा” किया गया है। (लूक 19:8 का अध्ययन नोट देखें।) इस क्रिया का शाब्दिक मतलब इस तरह समझाया गया है: “अंजीर का फल दिखाकर लेना।” इस क्रिया की शुरूआत कैसे हुई, इस बारे में अलग-अलग धारणाएँ हैं। एक है कि प्राचीन एथेन्स में अंजीर के फलों का निर्यात करना मना था। इसलिए अगर कोई दूसरों को बदनाम करने के लिए उन पर यह इलज़ाम लगाता कि उन्होंने अंजीर का निर्यात करने की कोशिश की है, तो उसे “अंजीर दिखानेवाला” कहा जाता था। बाद में यह नाम ऐसे लोगों के लिए इस्तेमाल होने लगा, जो अपने फायदे के लिए दूसरों पर झूठा इलज़ाम लगाते थे या लोगों को धमकाकर अपना काम निकलवाते थे।

      रोज़ी-रोटी: या “मज़दूरी; वेतन।” यहाँ यह शब्द सैनिकों के सिलसिले में इस्तेमाल हुआ है जिसका मतलब है, सैनिकों को दिया जानेवाला वेतन, राशन-पानी के लिए पैसा या भत्ता। शुरू में सैनिकों को जो भत्ता दिया जाता था उसमें शायद खाने-पीने का सामान और दूसरी चीज़ें भी शामिल थीं। जो यहूदी सैनिक यूहन्‍ना के पास आए, वे शायद सिपाहियों की तरह मामलों की जाँच-पड़ताल करते थे, खासकर चुंगी या कर लेने के मामले में। ज़्यादातर सैनिकों को बहुत कम मज़दूरी मिलती थी, इसलिए ज़ाहिर है कि और भी कमाई के लिए वे अपने अधिकार का गलत इस्तेमाल करके दूसरों से पैसे ऐंठते थे। शायद इसीलिए यूहन्‍ना ने उन सैनिकों को इस आयत में लिखी सलाह दी। “रोज़ी-रोटी” का यूनानी शब्द 1कुर 9:7 में भी इस्तेमाल हुआ है जिसका अनुवाद इस तरह किया गया है: “अपना खर्च खुद उठाता है।” यहाँ पौलुस ने उस मज़दूरी की बात की जो एक मसीही “सैनिक” को मिलनी चाहिए।

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