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  • लूका 4:18
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • 18 “यहोवा* की पवित्र शक्‍ति मुझ पर है क्योंकि उसने मेरा अभिषेक किया है कि मैं गरीबों को खुशखबरी सुनाऊँ। उसने मुझे भेजा है ताकि मैं बंदियों को रिहाई का, अंधों को आँखों की रौशनी पाने का और कुचले हुओं को आज़ादी का संदेश दूँ+

  • लूका 4:18
    नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
    • 18 “यहोवा की पवित्र शक्‍ति मुझ पर है, क्योंकि उसने गरीबों को खुशखबरी सुनाने के लिए मेरा अभिषेक किया है। उसने कैदियों को रिहाई का और अंधों को आँखों की रौशनी पाने का संदेश सुनाने के लिए मुझे भेजा है कि कुचले हुओं को रिहाई देकर आज़ाद करूँ 

  • लूका
    यहोवा के साक्षियों के लिए खोजबीन गाइड—2019 संस्करण
    • 4:18

      प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

      12/2019, पेज 10-13

      प्रहरीदुर्ग (जनता के लिए),

      अंक 2 2017, पेज 12

      अनमोल सबक, पेज 184

      प्रहरीदुर्ग,

      8/15/2011, पेज 10

      6/1/1987, पेज 17-18

      यशायाह की भविष्यवाणी-II, पेज 322

      “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” (मत्ती-कुलु), पेज 11

  • लूका अध्ययन नोट—अध्याय 4
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
    • 4:18

      यहोवा: यहाँ यश 61:1 की बात लिखी है। मूल इब्रानी पाठ में इस आयत में परमेश्‍वर के नाम के लिए चार इब्रानी व्यंजन (हिंदी में य-ह-व-ह) इस्तेमाल हुए हैं।​—अति. ग देखें।

      उसने . . . अभिषेक किया है: लूका ने यहाँ सेप्टुआजेंट से यशायाह की भविष्यवाणी दर्ज़ की, जिसमें लिखा है: “उसने . . . अभिषेक किया है।” मगर यीशु ने इब्रानी शास्त्र से यशायाह की भविष्यवाणी (61:1, 2) पढ़ी होगी, जहाँ ‘अभिषेक करने’ की क्रिया के साथ-साथ परमेश्‍वर के नाम के लिए चार इब्रानी व्यंजन (हिंदी में य-ह-व-ह) इस्तेमाल हुए हैं। मसीही यूनानी शास्त्र के कई इब्रानी अनुवादों में (जिन्हें अति. ग में J7, 8, 10, 14, 15 कहा गया है) यहाँ परमेश्‍वर का नाम आया है और उनमें लिखा है, “यहोवा ने . . . अभिषेक किया है।”

      ताकि मैं बंदियों को रिहाई का . . . संदेश दूँ: यहाँ यीशु ने यशायाह की भविष्यवाणी पढ़ी, जिसे कुछ यहूदियों ने शायद शब्द-ब-शब्द ले लिया। (यश 61:1) मगर यीशु ने अपनी सेवा के दौरान इस बात पर ध्यान दिया कि वह लोगों को झूठी शिक्षाओं से आज़ाद करे। इसका मतलब, यीशु लाक्षणिक रिहाई का संदेश सुना रहा था। इस भविष्यवाणी से और यीशु ने इसे जिस तरह अपनी सेवा से जोड़ा, उससे शायद छुटकारे के साल का इशारा मिलता है। इसे हर 50वें साल मनाया जाना था। छुटकारे के साल पूरे देश में छुटकारे का ऐलान किया जाना था।​—लैव 25:8-12.

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