2 ताकि तुम प्रभु में उसका वैसा ही स्वागत करो जैसा पवित्र जनों का किया जाना चाहिए। और अगर किसी भी काम में उसे तुम्हारी ज़रूरत पड़े तो उसकी मदद करना+ क्योंकि वह खुद बहुतों की और मेरी भी मददगार* साबित हुई है।
2 प्रभु में उसका वैसे ही स्वागत करो जैसे पवित्र जनों का किया जाना चाहिए, और अगर किसी भी काम में उसे तुम्हारी ज़रूरत पड़े तो उसकी मदद करना, क्योंकि वह खुद भी बहुतों की, और हाँ, मेरी भी मददगार* साबित हुई है।