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फुटनोट

a हम इंसान ध्वनी तंरगों की मदद से एक-दूसरे की आवाज़ सुनते हैं, लेकिन यहोवा को इसकी ज़रूरत नहीं। अगर हम अपनी भावनाओं को शब्दों में ज़ाहिर न भी करें, तब भी वह ‘सुन’ लेता है।—भजन 19:14.

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