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c आदम के पाप को मिटाने के लिए यीशु को एक सिद्ध बालक की तरह नहीं बल्कि एक सिद्ध आदमी की तरह अपनी जान देनी थी। याद रखिए, आदम ने जानबूझकर पाप किया था और उसे अच्छी तरह पता था कि जो काम वह करने जा रहा है वह कितना गंभीर है और उसके क्या-क्या अंजाम निकलेंगे। इसलिए “अन्तिम आदम” बनने और उस पाप को ढांपने के लिए, यीशु को एक प्रौढ़ इंसान के नाते सबकुछ जानते-समझते हुए यहोवा का वफादार रहने का फैसला करना था। (1 कुरिन्थियों 15:45, 47) इस तरह, यीशु ने वफादार रहकर जो ज़िंदगी बितायी और मरकर जो बलिदान दिया, वह ‘धार्मिकता का एक ही कार्य’ था।—रोमियों 5:18, 19, NHT.

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