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फुटनोट

c विद्वानों का कहना है कि उन आदमियों ने शायद नाज़ीर होने की मन्‍नत मानी थी। (गिन. 6:1-21) यह सच है कि नाज़ीर की मन्‍नत मानने का इंतज़ाम मूसा के कानून में था और अब उसके कोई मायने नहीं रह गए थे। मगर पौलुस ने शायद सोचा होगा कि अगर उन आदमियों ने यहोवा से मन्‍नत मानी है तो वे उसे पूरा करके कोई गलती नहीं कर रहे हैं। इसलिए उनका खर्च उठाना और उनके साथ मंदिर जाना गलत नहीं था। हम यह ठीक-ठीक नहीं जानते कि उन आदमियों ने क्या मन्‍नत मानी थी। मगर हम यह ज़रूर कह सकते हैं कि पौलुस ने किसी जानवर की बलि चढ़ाने के रिवाज़ का साथ नहीं दिया होगा, जैसा कि नाज़ीर की मन्‍नत माननेवाले चढ़ाते थे। जानवरों की बलि यह सोचकर चढ़ायी जाती थी कि उससे इंसान के पाप धुल जाते हैं। लेकिन जब से यीशु ने अपना परिपूर्ण जीवन बलिदान किया तब से पापों की माफी के लिए जानवरों के बलिदान की ज़रूरत नहीं थी। हमें पूरा यकीन है कि पौलुस ने उस मौके पर ऐसा कुछ नहीं किया होगा जो उसके ज़मीर के खिलाफ होता।

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