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फुटनोट

c शुरू के बाइबल विद्यार्थियों ने भी यह अहम सच्चाई समझ ली थी। पंद्रह नवंबर, 1895 की प्रहरीदुर्ग  में लिखा था, “चाहे बहुत कम गेहूँ मिले, फिर भी सच्चाई के बारे में साक्षी  बढ़-चढ़कर दी जा सकती है। . . . सुसमाचार सुनाने का काम सब लोग कर सकते हैं।”

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