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a शैतान ने हव्वा को यह सोचने तक बहकाया कि वह शरीर में कभी नहीं मरती। (उत्पत्ति ३:१५) तो उसने बाद में ही इस झूठी शिक्षा का प्रारंभ किया कि मानवों को एक अमर प्राण है जो शरीर के मरने के बाद भी ज़िन्दा रहता है।—द वॉचटावर, सितम्बर १५, १९५७, पृष्ठ ५७५ देखें।

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