वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ

फुटनोट

a सामान्य युग की तीसरी सदी में, तर्तुलियन ने दावा किया कि ऐसी औरतें “जो अपनी त्वचा पर ओषधि आदि लगाती हैं, अपने गालों को रूज़ से लाल करते हैं, और अपनी आँखों में [काला] अंजन डालकर उन्हें सुप्रकट करते हैं, ईश्‍वर के ख़िलाफ़ पाप करते हैं।” उसने उन लोगों की समालोचना भी की जो अपने बाल रंगाते हैं। मत्ती ५:३६ में यीशु के शब्दों का ग़लत अर्थ लगाकर, तर्तुलियन ने दोष लगाया: “वे प्रभु का खण्डन करते हैं! ‘लो!’ वे कहते हैं, ‘सफ़ेद या काले के बजाय, हम [अपने बालों को] ज़र्द रंग का बनाते हैं।’” उसने आगे कहा: “आप ऐसे लोगों से भी मिल सकते हैं जो शर्मिन्दा हैं कि वे बूढ़े हो चुके हैं, और जो अपने सफ़ेद बालों को काला बनाने की कोशिश करते हैं।” वह तर्तुलियन का निजी मत था। लेकिन वह तोड़-मरोड़कर बातों का वर्णन कर रहा था, इसलिए कि उसका संपूर्ण तर्क उसके इस विचार पर आधारित था कि औरतें मनुष्यों के नरकदण्ड का कारण थीं, इसलिए उन्हें ‘हव्वा के जैसे चलना चाहिए,’ ‘पहले पाप की बदनामी’ के कारण ‘शोक मनाते और पश्‍चाताप करते हुए।’ बाइबल में ऐसी कोई बात नहीं है; परमेश्‍वर ने मनुष्यजाति के पापीपन के लिए आदम को ज़िम्मेदार ठहराया।—रोमियों ५:१२-१४; १ तीमुथियुस २:१३, १४.

हिंदी साहित्य (1972-2025)
लॉग-आउट
लॉग-इन
  • हिंदी
  • दूसरों को भेजें
  • पसंदीदा सेटिंग्स
  • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
  • इस्तेमाल की शर्तें
  • गोपनीयता नीति
  • गोपनीयता सेटिंग्स
  • JW.ORG
  • लॉग-इन
दूसरों को भेजें