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फुटनोट

a प्रथम-शताब्दी मसीहियों पर परमेश्‍वर की आत्मा की एक मुख्य कार्यवाही थी उन्हें परमेश्‍वर के दत्तक आत्मिक पुत्रों और यीशु के भाइयों के तौर पर अभिषिक्‍त करना। (२ कुरिन्थियों १:२१, २२) यह केवल मसीह के १,४४,००० शिष्यों के लिए अलग रखा गया है। (प्रकाशितवाक्य १४:१, ३) आज अधिकांश मसीहियों को कृपापूर्वक परादीस पृथ्वी पर अनन्त जीवन की आशा दी गयी है। यद्यपि वे अभिषिक्‍त नहीं हैं, उन्हें भी परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा की सहायता और सांत्वना मिलती है।

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