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a डोनेटिज़्म सामान्य युग चौथी और पाँचवीं शताब्दियों का एक “मसीही” पंथ था। इस पंथ के माननेवाले दावा करते थे कि संस्कारों की प्रामाणिकता, एक पादरी के नैतिक चरित्र पर निर्भर करती है और चर्च को ऐसे सभी सदस्यों को निकाल देना चाहिए जो गंभीर पाप के दोषी हैं। एकात्मकतावाद (एरियसवाद) चौथी शताब्दी का एक “मसीही” आंदोलन था जिसमें यीशु मसीह के ईश्‍वरत्व से इनकार किया जाता था। एरियस ने सिखाया कि परमेश्‍वर की उत्पत्ति नहीं हुई और उसकी कोई शुरूआत नहीं है। क्योंकि पुत्र की उत्पत्ति हुई थी, इसलिए वह उसी अर्थ में परमेश्‍वर नहीं हो सकता जिस अर्थ में पिता है। पुत्र सदा सर्वदा से अस्तित्त्व में नहीं था, बल्कि उसकी सृष्टि की गयी और वह पिता की इच्छानुसार ही जीवित है।

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