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b हालाँकि सा.यु. ६६-७० में हुई यीशु के शब्दों की पूर्ति से हम यह समझ सकते हैं कि ये बातें भारी क्लेश के वक्‍त कैसे पूरी होंगी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारे समय में सभी घटनाएँ बिलकुल उसी तरह होंगी जैसे सा.यु. ६६-७० में हुई थीं, क्योंकि इन दोनों की परिस्थिति और समय अलग-अलग है।

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