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b इसी संबंध में एक और नियम था कि ऐसा कोई पुरुष परमेश्‍वर की सभा में नहीं आ सकता था जिसके जननांग बुरी तरह विकृत हों। (व्यवस्थाविवरण २३:१) लेकिन, शास्त्रवचनों पर अंतर्दृष्टि (अंग्रेज़ी) पुस्तक कहती है कि शायद यह “समलिंगता जैसे अनैतिक कामों के लिए जानबूझकर बधियाकरण से संबंधित हो।” सो इस नियम में गर्भ निरोध के लिए बधियाकरण, या इसी की तरह कुछ और शामिल नहीं था। अंतर्दृष्टि यह भी कहती है: “दिलासा दिलाते हुए यहोवा ने उस समय के बारे में पहले से बताया जब वह नपुंसकों (खोजों) को अपने सेवकों के रूप में स्वीकार करेगा और यदि वे आज्ञाकारी रहे तो उनको ऐसा नाम देगा जो पुत्र-पुत्रियों से कहीं उत्तम होगा। यीशु मसीह ने व्यवस्था को रद्द कर दिया और उसके बाद विश्‍वास रखनेवाले सभी लोग, चाहे पहले उनकी शारीरिक दशा कैसी भी क्यों न हो, या कोई भी स्थिति क्यों न रही हो, परमेश्‍वर के आत्मिक पुत्र बन सकते थे। इस तरह, शारीरिक भेदभाव दूर कर दिये गये थे।—यशा. ५६:४, ५; यूह. १:१२.”

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