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फुटनोट

a यह कोई चोरी या छीना-झपटी नहीं थी। इस्राएलियों ने मिस्रियों से दान माँगा था और मिस्रियों ने अपनी इच्छा से उन्हें दान दिया था। इसके अलावा, ध्यान देनेवाली बात यह है कि पहले तो मिस्रियों का यह हक ही नहीं बनता था कि वे इस्राएलियों को अपना दास बनाएँ। परमेश्‍वर के इन लोगों ने मिस्रियों के लिए जितने भी साल कड़ी मेहनत की थी उसकी मज़दूरी देना तो उनका फर्ज़ था।

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