फुटनोट
c अगर एक मसीही पुरुष कलीसिया में ज़िम्मेदारियों के काबिल बनना चाहता है, तो उसे “मारपीट करनेवाला” नहीं होना चाहिए। यानी उसे न तो दूसरों पर हाथ उठाना चाहिए और ना ही उन्हें अपनी बातों से डराना-धमकाना चाहिए। इसलिए मई 1, 1991 के प्रहरीदुर्ग अंक के पेज 17 पर यह बताया गया था: “अगर एक पुरुष, दूसरों के सामने तो अपनी पत्नी के साथ बाइबल के स्तरों के मुताबिक अदब से पेश आता है, मगर घर में उस पर ज़ुल्म ढाता है, तो वह ज़िम्मेदारी के पद के काबिल नहीं ठहरता।”—1 तीमुथियुस 3:2-5, 12.