फुटनोट
b इस पत्रिका में पहले समझाया गया था कि बीज एक व्यक्ति के गुणों को दर्शाता है, जिन्हें उसे निखारने की ज़रूरत होती है। और इस दौरान इन गुणों पर माहौल का असर होता है। लेकिन ध्यान दीजिए कि यीशु के दृष्टांत में बताया गया बीज खराब नहीं होता और ना ही उससे सड़े फल पैदा होते हैं। इसके बजाय, यीशु सिर्फ इतना बताता है कि बीज बढ़ता जाता है।—15 जून, 1980 की प्रहरीदुर्ग (अँग्रेज़ी) के पेज 17-19 देखिए।