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फुटनोट

a इन दोनों भजनों की लेखन-शैली तो मेल खाती ही है, साथ ही इनमें जो लिखा है वह भी आपस में मेल खाता है। परमेश्‍वर के जिन गुणों का बखान भजन 111 में किया गया है, उन्हीं गुणों को भजन 112 में बताए गए परमेश्‍वर का भय माननेवाला “पुरुष” अपनी ज़िंदगी में ज़ाहिर करता है। भजन 111:3, 4 की तुलना भजन 112:3, 4 के साथ करने से यह बात साफ देखी जा सकती है।

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