फुटनोट
a यह पहले से बताया गया था कि पहली सदी की मसीही सभाओं में होनेवाली कुछ बातें भविष्य में नहीं रहेंगी। उदाहरण के लिए अब न तो हम “भविष्यवाणी” करते हैं, न ही ‘दूसरी भाषाएँ बोलते’ हैं। (1 कुरिं. 13:8; 14:5) लेकिन फिर भी, मसीही सभाएँ कैसे चलायी जानी चाहिए, इस बात की कुछ समझ हमें पौलुस की हिदायतों से मिलती है।