फुटनोट
a हम अकसर बाइबल की शिक्षाओं को सच्चाई कहते हैं और जब एक व्यक्ति उन्हें मानने लगता है, तो हम कहते हैं कि उसने सच्चाई अपना ली है। चाहे हम हाल ही में यहोवा के साक्षी बने हों या सालों से यहोवा को जानते हों, हम सबको इस बारे में सोचना चाहिए कि हम क्यों सच्चाई से इतना प्यार करते हैं। ऐसा करने से यहोवा को खुश करने का हमारा इरादा और भी पक्का हो जाएगा।