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फुटनोट

a ईसाईजगत के अलग-अलग समूह सिखाते हैं कि परमेश्‍वर का राज एक व्यक्‍ति के अंदर होता है या उसके दिल में होता है। मिसाल के लिए, अमरीका में हुए सदर्न बैप्टिस्ट नाम के समूह के एक अधिवेशन में यह बताया गया कि एक हद तक परमेश्‍वर के राज का मतलब है कि “परमेश्‍वर का एक व्यक्‍ति की ज़िंदगी और दिल में हुकूमत करना।” उसी तरह, सोलहवें पोप बेनडिक्ट ने अपनी किताब नासरत का यीशु  में लिखा कि “जब किसी का दिल परमेश्‍वर की आज्ञा को मानता है तो परमेश्‍वर का राज आता है।”

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