बुधवार, 16 जुलाई
यहोवा जानता है कि बुद्धिमानों के तर्क बेकार हैं।—1 कुरिं. 3:20.
हमें दुनिया के लोगों की सोच नहीं अपनानी चाहिए। अगर हम दुनिया के लोगों की तरह सोचें, तो हम यहोवा से दूर जा सकते हैं और उसके स्तरों को नज़रअंदाज़ करने लग सकते हैं। (1 कुरिं. 3:19) “दुनिया की बुद्धि” यानी दुनिया के लोगों की सोच है कि हम अपनी इच्छाएँ पूरी करें और परमेश्वर की ना सुनें। बीते ज़माने में पिरगमुन और थुआतीरा के लोगों की भी ऐसी ही सोच थी। वहाँ जिधर देखो उधर मूर्तिपूजा और अनैतिक काम हो रहे थे। और कुछ मसीहियों पर भी वहाँ के लोगों की सोच का असर होने लगा था और वे अनैतिक कामों को बरदाश्त करने लगे थे। इसलिए वहाँ की मंडलियों को यीशु ने सख्ती से सलाह दी। (प्रका. 2:14, 20) आज हम पर भी दुनिया की सोच अपनाने का दबाव आता है। शायद हमारे परिवारवाले या जान-पहचानवाले हमसे कहें कि हम कुछ ज़्यादा ही सख्ती बरत रहे हैं, थोड़ा-बहुत तो चलता है। जैसे, वे शायद कहें, ‘अपनी इच्छाएँ पूरी करने में क्या बुराई है? आज दुनिया कहाँ-से-कहाँ पहुँच गयी है और तुम अब भी बाइबल पकड़े बैठे हो!’ कभी-कभी हमें शायद लगे कि यहोवा की तरफ से जो हिदायतें दी जाती हैं, उनसे समझ में नहीं आता कि क्या करना है और क्या नहीं। ऐसे में हम शायद ‘जो लिखा है उससे आगे जाने’ की या कुछ और नियम बनाने की सोचने लगें।—1 कुरिं. 4:6. प्र23.07 पेज 16 पै 10-11
गुरुवार, 17 जुलाई
सच्चा दोस्त हर समय प्यार करता है और मुसीबत की घड़ी में भाई बन जाता है।—नीति. 17:17.
यीशु की माँ मरियम को हिम्मत चाहिए थी। उसकी अब तक शादी नहीं हुई थी, लेकिन वह गर्भवती होनेवाली थी। उसे बच्चों को पालने-पोसने का कोई तजुरबा नहीं था, पर उसे एक ऐसे बच्चे की परवरिश करनी थी जो आगे चलकर मसीहा बनता। उसने अब तक किसी आदमी के साथ संबंध नहीं रखे थे, पर वह माँ बननेवाली थी। वह अपने मंगेतर यूसुफ को यह सब कैसे समझाती? (लूका 1:26-33) मरियम को हिम्मत कैसे मिली? उसने दूसरों से मदद ली। जैसे उसने जिब्राईल से कहा कि वह इस बारे में उसे और जानकारी दे। (लूका 1:34) फिर कुछ ही समय बाद वह एक लंबा सफर तय करके यहूदा के “पहाड़ी इलाके” में अपनी रिश्तेदार इलीशिबा से मिलने गयी। इलीशिबा ने मरियम की तारीफ की और यहोवा की प्रेरणा से मरियम के होनेवाले बच्चे के बारे में एक भविष्यवाणी की। (लूका 1:39-45) तब मरियम ने कहा कि यहोवा ने “अपने बाज़ुओं की ताकत दिखायी है।” (लूका 1:46-51) जिब्राईल स्वर्गदूत और इलीशिबा के ज़रिए यहोवा ने मरियम को हिम्मत दी। प्र23.10 पेज 14-15 पै 10-12
शुक्रवार, 18 जुलाई
हमें अपने परमेश्वर और पिता के लिए राजा और याजक बनाया।—प्रका. 1:6.
मसीह के कुछ चेलों का पवित्र शक्ति से अभिषेक किया गया है और उनका यहोवा के साथ एक खास रिश्ता है। ये 1,44,000 जन स्वर्ग में यीशु के साथ याजकों के तौर पर सेवा करेंगे। (प्रका. 14:1) जब वे धरती पर ही होते हैं, तभी परमेश्वर पवित्र शक्ति से उनका अभिषेक करके उन्हें अपने बेटों के नाते गोद लेता है। डेरे का पवित्र भाग परमेश्वर के साथ उनके इसी खास रिश्ते को दर्शाता है। (रोमि. 8:15-17) डेरे का परम-पवित्र भाग स्वर्ग को दर्शाता है जहाँ यहोवा निवास करता है। पवित्र और परम पवित्र भाग के बीच जो ‘परदा’ था, वह यीशु के इंसानी शरीर की निशानी है जिसके साथ वह स्वर्ग नहीं जा सकता था और यहोवा के महान मंदिर में महान महायाजक के तौर पर सेवा नहीं कर सकता था। जब यीशु ने अपना शरीर इंसानों के लिए बलिदान किया, तो उसने सभी अभिषिक्त मसीहियों के लिए स्वर्ग में जाने का रास्ता खोल दिया। उन्हें भी स्वर्ग में अपना इनाम पाने के लिए अपना इंसानी शरीर त्यागना होगा।—इब्रा. 10:19, 20; 1 कुरिं. 15:50. प्र23.10 पेज 28 पै 13