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न्यायियों का सारांश

      • मीका की मूरतें और उसका याजक (1-13)

न्यायियों 17:1

संबंधित आयतें

  • +यह 17:14, 15

न्यायियों 17:3

संबंधित आयतें

  • +निर्ग 20:4; लैव 26:1; व्य 27:15

न्यायियों 17:5

फुटनोट

  • *

    शा., “का हाथ भर दिया।”

संबंधित आयतें

  • +उत 31:19
  • +निर्ग 28:6; न्या 8:27
  • +गि 3:10; व्य 12:11, 13; 2इत 13:8, 9

न्यायियों 17:6

संबंधित आयतें

  • +1शम 8:4, 5
  • +न्या 21:25

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 7/2019, पेज 2

    प्रहरीदुर्ग,

    1/15/2005, पेज 27

न्यायियों 17:7

संबंधित आयतें

  • +मी 5:2
  • +गि 3:45; यह 14:3; 18:7

न्यायियों 17:8

संबंधित आयतें

  • +न्या 17:1, 5

न्यायियों 17:10

फुटनोट

  • *

    शा., “पिता।”

न्यायियों 17:12

फुटनोट

  • *

    शा., “का हाथ भर दिया।”

संबंधित आयतें

  • +गि 3:10; न्या 17:5

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 1/2022, पेज 2-3

दूसरें अनुवाद

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दूसरी

न्यायि. 17:1यह 17:14, 15
न्यायि. 17:3निर्ग 20:4; लैव 26:1; व्य 27:15
न्यायि. 17:5उत 31:19
न्यायि. 17:5निर्ग 28:6; न्या 8:27
न्यायि. 17:5गि 3:10; व्य 12:11, 13; 2इत 13:8, 9
न्यायि. 17:61शम 8:4, 5
न्यायि. 17:6न्या 21:25
न्यायि. 17:7मी 5:2
न्यायि. 17:7गि 3:45; यह 14:3; 18:7
न्यायि. 17:8न्या 17:1, 5
न्यायि. 17:12गि 3:10; न्या 17:5
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
न्यायियों 17:1-13

न्यायियों

17 एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश+ में मीका नाम का एक आदमी रहता था। 2 उसने अपनी माँ से कहा, “तुझे याद है, तेरे चाँदी के 1,100 टुकड़े चोरी हो गए थे और तू उस चुरानेवाले को मेरे सामने कोस रही थी। वह चाँदी मैंने ली थी।” इस पर उसकी माँ ने कहा, “यहोवा तुझे आशीष दे मेरे बेटे!” 3 तब उसने चाँदी के 1,100 टुकड़े अपनी माँ को लौटा दिए। उसकी माँ ने कहा, “यह चाँदी मैं यहोवा के लिए अलग ठहराती हूँ। मैं चाहती हूँ कि तू इससे अपने लिए एक तराशी हुई और एक ढली हुई मूरत बनाए।+ और यह चाँदी तेरी हो जाएगी।”

4 चाँदी मिलने पर, मीका की माँ ने उसमें से 200 टुकड़े सुनार को दिए। उसने उससे एक तराशी हुई और एक ढली हुई मूरत बना दी। फिर उन मूरतों को मीका के घर में स्थापित किया गया। 5 मीका के यहाँ देवताओं के लिए एक मंदिर था। उसने कुल देवताओं की मूरतें+ और एक एपोद बनवाया+ और अपने एक बेटे को याजक ठहराया।*+ 6 उन दिनों इसराएल राष्ट्र में कोई राजा नहीं था।+ हर कोई वही कर रहा था जो उसकी नज़र में सही था।+

7 यहूदा के बेतलेहेम शहर+ में एक जवान आदमी, कुछ समय से यहूदा के लोगों के साथ रह रहा था। वह एक लेवी था।+ 8 एक दिन उसने बेतलेहेम छोड़ दिया और रहने के लिए दूसरी जगह ढूँढ़ने लगा। ढूँढ़ते-ढूँढ़ते वह एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश में मीका के घर आया।+ 9 मीका ने उससे पूछा, “तू कहाँ से आया है?” उसने कहा, “मैं यहूदा के बेतलेहेम से आया हूँ। मैं एक लेवी हूँ और रहने के लिए एक जगह ढूँढ़ रहा हूँ।” 10 तब मीका ने उससे कहा, “तू यहीं मेरे साथ रह और मेरा सलाहकार* और याजक बन जा। मैं तुझे खाना, एक जोड़ी कपड़े और हर साल चाँदी के दस टुकड़े दिया करूँगा।” यह सुनकर लेवी घर के अंदर आया। 11 वह मीका के साथ रहने को तैयार हो गया और मीका उसे अपना बेटा मानने लगा। 12 मीका ने उस लेवी को अपना याजक ठहराया*+ और वह मीका के घर रहने लगा। 13 मीका ने कहा, “अब यहोवा ज़रूर मेरा भला करेगा क्योंकि एक लेवी मेरा याजक बना है।”

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