अय्यूब
18 जवाब में शूही बिलदद+ ने कहा,
2 “तू कब तक बोलता रहेगा?
थोड़ा तो समझ से काम ले, तभी हमारी बातचीत का कोई फायदा होगा।
4 अगर तू गुस्से में अपने चिथड़े-चिथड़े कर ले,
तो क्या तेरे न होने से धरती सुनसान हो जाएगी?
चट्टान अपनी जगह से खिसक जाएगी?
6 उसके डेरे में फैला उजाला अंधकार में बदल जाएगा,
उसके घर का चिराग बुझ जाएगा।
8 वह बिछे हुए जाल की तरफ जाएगा
और उसके पैर उसमें उलझकर रह जाएँगे।
10 ज़मीन पर उसके लिए रस्सी का फंदा छिपाया गया है,
उसकी राह में जाल बिछाया गया है।
16 ज़मीन में उसकी जड़ें सूख जाएँगी,
उसकी लहराती शाखाएँ मुरझा जाएँगी।
18 उसे उजाले से अँधेरे में धकेल दिया जाएगा,
दुनिया से खदेड़ दिया जाएगा।
19 उसके न तो बच्चे रहेंगे, न ही आनेवाली पीढ़ियाँ,
जहाँ वह रहता था, वहाँ उसका वंश चलानेवाला कोई न बचेगा।
20 जिस दिन उसका नाश होगा,
पश्चिम के रहनेवालों का दिल दहल जाएगा,
पूरब के लोगों के रोंगटे खड़े हो जाएँगे।
21 बुरा करनेवाले के साथ यही होता है,
जो परमेश्वर को नहीं जानता उसकी यही गत होती है।”