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परमेश्‍वर की सेवा स्कूल से फायदा उठाइए
be पेज 4-पेज 8 पैरा. 1
पेज 5 पर दी तसवीर

परमेश्‍वर की सेवा स्कूल में आपका स्वागत है

आज संसार के 200 से भी ज़्यादा देशों में लाखों विद्यार्थी, हर हफ्ते चलाए जानेवाले परमेश्‍वर की सेवा स्कूल से फायदा उठा रहे हैं। इस स्कूल में हाज़िर होनेवाले कुछ विद्यार्थी नए हैं, तो दूसरे कई बरसों से हाज़िर हो रहे हैं। यह स्कूल हज़ारों जगहों पर चलाया जाता है। इसलिए आप चाहे दुनिया के किसी भी हिस्से में क्यों न जाएँ, आपको इस स्कूल में वही बातें सिखायी जाएँगी जो पूरी दुनिया में इन स्कूलों में सिखायी जा रही हैं। हर उम्र, जाति, और तरह-तरह की तालीम पाए लोगों ने इसमें दाखिला लिया है। बिना कोई फीस दिए वे सभी, इस स्कूल के ज़रिए परमेश्‍वर से मिलनेवाली शिक्षा का लाभ उठा रहे हैं।

इस स्कूल की शुरूआत, सन्‌ 1943 में यहोवा के साक्षियों की कलीसियाओं में हुई। उस वक्‍त, इस स्कूल को शुरू करने का मकसद इन शब्दों में बताया गया: “उन सभी ‘वफादार पुरुषों’ को ‘अच्छे शिक्षक’ बनने की तालीम देना जिन्होंने परमेश्‍वर का वचन सुना है और उस पर अपना विश्‍वास ज़ाहिर किया है . . . ताकि उनमें से हर कोई . . . लोगों के सामने अपने विश्‍वास का बयान करने के लिए अच्छी तरह योग्य बन सके।” (कोर्स इन थियोक्रैटिक मिनिस्ट्री, पेज 4) आज भी इस स्कूल का यही मकसद है।

परमेश्‍वर ने हमें बोलने की काबिलीयत का जो वरदान दिया है, उसे इस्तेमाल करने का सबसे बढ़िया तरीका क्या हो सकता है? बाइबल जवाब देती है: “हे जीवों! यहोवा की स्तुति करो!” (भज. 150:6, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) जब हम ऐसा करते हैं, तब स्वर्ग में रहनेवाले हमारे पिता, यहोवा का दिल खुश होता है। साथ ही, हम इस बात का सबूत देते हैं कि हम उसके उपकारों और उसके प्यार के लिए दिल से शुक्रगुज़ार हैं। इसलिए, कोई ताज्जुब नहीं कि बाइबल यह कहकर मसीहियों को उकसाती है: वे “स्तुतिरूपी बलिदान, अर्थात्‌ उन होठों का फल जो उसके नाम का अंगीकार करते हैं, परमेश्‍वर के लिये सर्वदा चढ़ाया करें।” (इब्रा. 13:15) परमेश्‍वर ने आपको जो-जो काबिलीयतें वरदान में दी हैं, उन्हें बेहतरीन तरीके से इस्तेमाल करने में हम आपकी मदद करना चाहते हैं ताकि इनसे आप और भी बढ़िया ढंग से यहोवा की स्तुति कर सकें। इसी मकसद को ध्यान में रखते हुए, परमेश्‍वर की सेवा स्कूल आपके लिए तैयार किया गया है। एक विद्यार्थी के तौर पर आपका इस स्कूल में स्वागत है।

हालाँकि परमेश्‍वर की सेवा स्कूल में, लोगों के सामने पढ़कर सुनाने, बोलने और सिखाने की आपकी कला को निखारने पर खास ध्यान दिया जाता है। मगर इनके अलावा, स्कूल में हिस्सा लेते रहने से आप निजी तौर पर पढ़ाई करने, ध्यान से सुनने और याद रखने, अध्ययन करने, खोजबीन करने, विषय की जाँच करने और मुद्दों को क्रमानुसार लिखने, बातचीत करने, सवालों के जवाब देने और अपने विचारों को कागज़ पर लिखने जैसी दूसरी विद्याओं में भी माहिर होते जाएँगे। इस स्कूल में जो अध्ययन किया जाएगा, जो कुछ कहा जाएगा और जो भी भाग पेश किए जाएँगे, वे सब बाइबल से और बाइबल पर आधारित साहित्य से होंगे। जैसे-जैसे आप अपने मन को परमेश्‍वर के वचन की अनमोल सच्चाइयों से भरेंगे, वैसे-वैसे आप परमेश्‍वर की तरह सोचना सीखेंगे। अगर ऐसा हो जाए, तो आपकी ज़िंदगी क्या ही बेहतरीन हो सकती है! परमेश्‍वर के वचन का क्या मोल है, इस बारे में 20वीं सदी के एक यूनिवर्सिटी शिक्षक, विलियम लायन फैल्प्स ने लिखा: “जिस इंसान को बाइबल का अच्छा ज्ञान है, उसे ही सही मायने में पढ़ा-लिखा कहा जा सकता है। . . . मेरा मानना है कि कॉलेज की शिक्षा के बगैर सिर्फ बाइबल का ज्ञान होना ज़्यादा अहमियत रखता है, बजाय इसके कि इंसान कॉलेज की शिक्षा तो हासिल कर ले, मगर उसे बाइबल का ज़रा भी इल्म न हो।”

स्कूल से पूरा फायदा कैसे उठाएँ

पेज 4 पर बड़ी तसवीर दी गयी है

इसमें कोई दो राय नहीं कि परमेश्‍वर की सेवा स्कूल से पूरा-पूरा फायदा पाने के लिए खुद विद्यार्थी को, यानी आपको कड़ी मेहनत करने की ज़रूरत होगी। प्रेरित पौलुस ने अपने मसीही साथी, तीमुथियुस को ऐसा ही करने के लिए उकसाया था: “इनके लिए प्रयत्नशील रह और इन पर अपना पूरा मन लगा, जिस से तेरी प्रगति सब पर प्रकट हो जाए।” (1 तीमु. 4:15, NHT) तो स्कूल से पूरा लाभ पाने के लिए आपको कौन-से कारगर तरीके अपनाने होंगे?

सबसे पहले तो, बिना नागा हर हफ्ते स्कूल में हाज़िर होने की पूरी कोशिश कीजिए। इसके अलावा, यह जो किताब, परमेश्‍वर की सेवा स्कूल से फायदा उठाइए आप पढ़ रहे हैं, इसका अच्छा इस्तेमाल कीजिए। इसे खोलते ही पहले पन्‍ने पर जहाँ किताब का शीर्षक दिया गया है, वहाँ नाम लिखने की जगह पर अपना नाम लिख लीजिए। और हमेशा स्कूल में अपने साथ यह किताब लाइए। यह किताब सिर्फ पढ़ने के लिए ही नहीं है बल्कि यह स्कूल की एक कॉपी की तरह है, जिसमें आप लिख भी सकते हैं। इसलिए पढ़ते वक्‍त जब आपकी नज़र किसी ऐसे अहम मुद्दे पर पड़ती है, जो आपके लिए फायदेमंद हो सकता है, तो उसके नीचे लाइन खींच लीजिए। इसके अलावा, इस किताब के हर पेज के दाँयें या बाँयें मार्जिन या हाशिए पर काफी खाली जगह छोड़ी गयी है। स्कूल की चर्चा के दौरान आप जो-जो कारगर बातें सीखेंगे, उन्हें आप इस खाली जगह पर लिख सकते हैं।

स्कूल के कार्यक्रम की एक कॉपी आपको अलग से दी जाएगी। इसमें ये हिदायतें भी दी गयी होंगी कि स्कूल कैसे चलाया जाएगा। अच्छा होगा अगर आप कार्यक्रम को हमेशा इसी किताब में रखें, ताकि ज़रूरत पड़ने पर यह आपको आसानी से मिल सके।

हर हफ्ते स्कूल की तैयारी करते वक्‍त, हमेशा याद रखिए कि हमारी खास किताब बाइबल है। इसलिए हर हफ्ते की बाइबल पढ़ाई को अपनी तैयारी में सबसे पहला नंबर दीजिए। इसके अलावा, अगर आप स्कूल कार्यक्रम में दिए गए दूसरे भागों को भी पहले से पढ़कर आएँ, तो यह और भी अच्छा होगा।

स्कूल के दौरान, ऐसे कई मौके आएँगे जिनमें सभी लोग हिस्सा ले सकते हैं। इन मौकों का पूरा-पूरा फायदा उठाइए। कही गयी बातों को याद रखने और अपने जीवन में इन पर अमल करने के लिए ऐसी चर्चाओं में हिस्सा लेना बेहद ज़रूरी है।

बेशक, हर विद्यार्थी को कलीसिया के सामने भाषण या प्रदर्शन के रूप में अपना भाग पेश करने का मौका मिलेगा। इसलिए आपकी बारी आने पर उसका अच्छा इस्तेमाल कीजिए। आपको भाषण के जिस किसी गुण पर काम करने के लिए कहा जाता है, उसे निखारने के लिए कड़ी मेहनत कीजिए। आगे और उन्‍नति करने के लिए, भाषण के बाद आपको सलाह भी दी जाएगी। ऐसी निजी सलाह को खुशी-खुशी स्वीकार कीजिए। और अगर आपको सुधार करने का कोई कारगर तरीका बताया जाता है, तो उसे फौरन अपनी किताब में लिख लीजिए। दूसरे जितनी अच्छी तरह हमारी कमियों को भाँप सकते हैं, वैसा हम शायद ही खुद कर सकें। इसलिए आपकी मदद करने के इरादे से बाइबल के आधार पर जो प्यार भरे सुझाव और सलाह दी जाती हैं, अगर आप उन पर अमल करेंगे, तो काफी अच्छी तरक्की कर पाएँगे। यह बात उन लोगों पर भी लागू होती है, जो शायद कई सालों से स्कूल में भाषण देते आए हैं।—नीति. 1:5.

क्या आप कम समय के अंदर ज़्यादा तरक्की करना चाहते हैं? ऐसा हो सकता है, मगर तभी जब आप खुद पहल करेंगे। हर विद्यार्थी-भाग की पहले से अच्छी तैयारी करके आइए। अगर किसी भाग के लिए विद्यार्थी मौजूद नहीं है, तो भाषण देने के लिए आप खुद आगे आ सकते हैं। इससे आपको और भी तजुर्बा मिलेगा। और जब दूसरे भाषण देते हैं, तो बड़े ध्यान से सुनिए कि वे अपना भाग किस ढंग से पेश कर रहे हैं। हम एक-दूसरे से ही सीखते हैं।

इन सबके अलावा, अगर आपके हालात इजाज़त दें, तो अपनी प्रगति में तेज़ी लाने के लिए आप इस किताब के बाद के अध्यायों का पहले से अध्ययन कर सकते हैं। जब आप अगले 15 अध्यायों का अच्छी तरह अध्ययन कर लेते हैं, तो उसके बाद आप ‘एक वक्‍ता और एक शिक्षक के तौर पर अपनी काबिलीयत बढ़ाने के कार्यक्रम’ के मुद्दों पर अमल करना शुरू कर सकते हैं, जो पेज 78 से शुरू होता है। सबसे पहले, हर अध्याय का अध्ययन कीजिए और फिर उनमें दिए गए अभ्यास को पूरा कीजिए। जो कुछ आप सीखते हैं, उसे अपने प्रचार काम में लागू कीजिए। ऐसा करने से आप, एक वक्‍ता की हैसियत से और परमेश्‍वर के वचन के सिखानेवाले बनने में बेहतरीन तरक्की कर पाएँगे।

परमेश्‍वर की सेवा स्कूल से आपको ऐसी शिक्षा मिलेगी जो आपको ज़िंदगी का सबसे अहम काम करने के योग्य बनाएगी। परमेश्‍वर ने हमें जीने के लिए जो एक-एक दिन दिया है, वह इसलिए कि हम उसकी स्तुति कर पाएँ, हमें इसीलिए बनाया गया था, और अगर हम यह समझ लें, तो हमारा जीवन सफल है। यहोवा परमेश्‍वर उत्तम-से-उत्तम स्तुति पाने का हकदार है। (प्रका. 4:11) उसकी ऐसी स्तुति करने में इस स्कूल की शिक्षा हमारी मदद करेगी, ताकि हम सही तरीके से सोचें, समझदारी से काम लें और ईश्‍वर-प्रेरणा से लिखे वचन की अनमोल सच्चाइयाँ असरदार तरीके से सिखाएँ।

स्कूल की खासियतें

  • हर हफ्ते बाइबल पढ़ने, अध्ययन करने और खोजबीन करने का कार्यक्रम

  • लोगों के सामने पढ़कर सुनाने, बोलने और सिखाने की कला निखारने के बारे में हिदायतें

  • स्कूल की चर्चा में हिस्सा लेना

  • कलीसिया के सामने भाग पेश करने के मौके

  • तरक्की करने के लिए निजी तौर पर मदद

इन विद्याओं पर ध्यान दिया गया है

  • ध्यान से सुनना और याद रखना

  • निजी तौर पर पढ़ाई

  • अध्ययन करना

  • खोजबीन करना

  • विषय की जाँच करना और मुद्दों को क्रमानुसार लिखना

  • बातचीत करना

  • सवालों के जवाब देना

  • विचारों को कागज़ पर लिखना

एक ठोस बुनियाद

अपनी बात असरदार तरीके से कह पाना एक कला है। हर कोई इसमें माहिर नहीं होता। इस बारे में लोगों की मदद करने के लिए कई किताबें लिखी गयी हैं। लेकिन, बोलने की कला सिखानेवाले बड़े-से-बड़े उस्ताद से ज़्यादा हमारा सिरजनहार बोलने और सिखाने के बारे में जानता है, क्योंकि उसी ने हमें यह काबिलीयत देकर पैदा किया है। हमारा मस्तिष्क, बोलने के अंग और सृष्टि की दूसरी कई अद्‌भुत रचनाएँ, हमारे सिरजनहार और कुशल कारीगर, यानी उसके एकलौते बेटे के हाथों की कारीगरी हैं।

जब स्वर्गदूतों और फिर इंसानों की सृष्टि की गयी, तब परमेश्‍वर के इसी बेटे ने उसके वचन का काम किया, यानी यहोवा ने स्वर्गदूतों और इंसानों को हिदायतें देने के लिए खासकर उसी का इस्तेमाल किया। (नीति. 8:30; यूह. 1:1-3) इसी बेटे को बाद में परमेश्‍वर ने धरती पर भेजा जो प्रभु यीशु मसीह कहलाया। उसके बारे में ईश्‍वर-प्रेरणा से लिखा वचन कहता है: “भीड़ उसके सिखाने के तरीके से हैरान हुई।” और जिन लोगों ने उसे सिखाते हुए सुना, उन्होंने उसके बारे में यह गवाही दी: “कोई भी व्यक्‍ति आज तक ऐसे नहीं बोला जैसे वह बोलता है।” (मत्ती 7:28, NW; यूह. 7:46, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) इसीलिए सुसमाचार की किताबों में 40 से भी ज़्यादा बार यीशु को गुरु कहा गया है। वाकई, बोलने और सिखाने के बारे में हम, यीशु से बहुत कुछ सीख सकते हैं।

बाइबल में ऐसे कई स्त्री-पुरुषों की मिसालें दर्ज़ हैं, जो अलग-अलग माहौल में पले-बड़े और जिन्हें यहोवा परमेश्‍वर ने अपना मकसद पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया। हालाँकि उनमें से कुछ के संदेश में चंद बातें ही थीं, मगर उन्होंने बड़े ही ज़बरदस्त अंदाज़ से इसे पेश किया। कइयों ने भले ही भीड़ के सामने बात न की हो, फिर भी उन्होंने पूरी वफादारी के साथ सच्चे परमेश्‍वर और उसके उद्देश्‍य के बारे में गवाही दी। ज़ाहिर है कि उनमें से ज़्यादातर लोग बोलने में माहिर नहीं थे, मगर परमेश्‍वर ने उनकी कोशिशों पर आशीष दी। उन्होंने जिस तरह से सेवा की, उसके बारे में हम बाइबल से पढ़कर काफी कुछ सीख सकते हैं।—भज. 68:11.

यह सच है कि बाइबल, भाषण देने की कला सिखानेवाली कोई किताब नहीं है। मगर जो लोग समझ के साथ इसे पढ़ते हैं, वे इसमें असरदार तरीके से बोलने और सिखाने की कला के बारे में ज्ञान का ऐसा भंडार पा सकते हैं, जिसका कोई मोल नहीं लगाया जा सकता। परमेश्‍वर की सेवा स्कूल से फायदा उठाइए किताब के ज़रिए कोशिश की गयी है कि इसी ज्ञान की ठोस बुनियाद पर हम आगे उन्‍नति करें।

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