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  • जब शैतान लुभाए, तो यीशु की तरह ठुकराइए

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  • जब शैतान लुभाए, तो यीशु की तरह ठुकराइए
  • यीशु—राह, सच्चाई, जीवन
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यीशु—राह, सच्चाई, जीवन
jy अध्या. 13 पेज 36-पेज 37 पैरा. 6
शैतान यीशु को लुभा रहा है, मगर यीशु इनकार कर रहा है

अध्याय 13

जब शैतान लुभाए, तो यीशु की तरह ठुकराइए

मत्ती 4:1-11 मरकुस 1:12, 13 लूका 4:1-13

  • शैतान यीशु को लुभाने की कोशिश करता है

जब यीशु का बपतिस्मा होता है, तो उसके तुरंत बाद परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति उसे यहूदिया के वीराने में ले जाती है। आपको याद होगा कि उसके बपतिस्मे के समय “आकाश खुल गया” था। (मत्ती 3:16) इसका मतलब यह है कि अब उसकी याद ताज़ा हो जाती है कि उसने स्वर्ग में क्या-क्या किया था और अपने पिता से क्या-क्या सीखा था। अब उसे वीराने में कितनी सारी बातों पर मनन करना है!

यीशु वीराने में 40 दिन और 40 रात बिताता है। इतने दिन वह कुछ नहीं खाता। चालीस दिन बीतने पर उसे बहुत भूख लगती है। तभी शैतान उसके पास आता है और उसे फुसलाने के लिए कहता है, “अगर तू परमेश्‍वर का एक बेटा है, तो इन पत्थरों से बोल कि ये रोटियाँ बन जाएँ।” (मत्ती 4:3) यीशु जानता है कि अपना मतलब पूरा करने के लिए चमत्कार करने की शक्‍ति इस्तेमाल करना गलत है। इसलिए वह शैतान की बात नहीं मानता और साफ इनकार कर देता है।

शैतान यीशु का पीछा नहीं छोड़ता। वह उसे फुसलाने की फिर से कोशिश करता है। वह यीशु से कहता है कि वह मंदिर की छत की मुँडेर से छलाँग लगा दे ताकि देखें कि स्वर्गदूत उसे बचाते हैं कि नहीं। मगर यीशु शैतान की बातों में नहीं आता। वह अपनी ताकत का दिखावा नहीं करना चाहता। वह कहता है कि शास्त्र में लिखा है कि इस तरह के काम करके यहोवा की परीक्षा लेना गलत है।

शैतान एक और बार यीशु को लुभाने की कोशिश करता है। इस बार वह यीशु को “दुनिया के सारे राज्य और उनकी शानो-शौकत” दिखाता है और उससे कहता है, “अगर तू बस एक बार मेरे सामने गिरकर मेरी उपासना करे, तो मैं यह सबकुछ तुझे दे दूँगा।” एक बार फिर यीशु साफ इनकार कर देता है और कहता है, “दूर हो जा शैतान!” (मत्ती 4:8-10) यीशु जानता है कि उपासना सिर्फ यहोवा की करनी चाहिए, इसलिए वह शैतान के झाँसे में नहीं आता। यीशु ने मन में ठान लिया है कि चाहे जो भी हो वह सिर्फ यहोवा की बात मानेगा।

इस घटना से हम बहुत कुछ सीखते हैं। एक तो यह कि जब हमें यहोवा के खिलाफ काम करने के लिए लुभाया जाता है, तो यीशु की तरह हमें उसे ठुकरा देना चाहिए। हमें एक और बात पता चलती है कि शैतान सचमुच है। वह सिर्फ लोगों के मन की बुराई नहीं है जैसा कुछ लोग सोचते हैं। वह सचमुच का एक प्राणी है, मगर वह अदृश्‍य है इसलिए हम उसे देख नहीं सकते। उसने वाकई में यीशु को फुसलाने की कोशिश की थी। इस घटना से यह भी पता चलता है कि दुनिया की सरकारें शैतान के कब्ज़े में हैं। तभी तो उसने यीशु को लुभाते हुए कहा कि वह दुनिया के सारे राज्य उसे दे सकता है।

शैतान ने यीशु से कहा कि अगर वह उसकी उपासना करे, तो वह सारे राज्य उसे दे देगा। शैतान हमें भी दौलत, शोहरत या नाम कमाने के लिए लुभा सकता है। लेकिन शैतान चाहे हमें किसी भी तरह लुभाए, हमें यीशु की तरह ठान लेना चाहिए कि हम हर वक्‍त परमेश्‍वर की बात मानेंगे। ऐसा करने में ही बुद्धिमानी है। इस घटना से हमें कुछ और भी सीखने को मिलता है। जब शैतान यीशु को फुसलाने में नाकाम हो गया, तो “कोई और सही मौका मिलने तक” वह उसके पास से चला गया। (लूका 4:13) शैतान हमें भी फुसलाने के लिए हमेशा मौके की तलाश में रहता है। इसलिए हमें हर वक्‍त सतर्क रहना चाहिए।

  • यीशु ने वीराने में 40 दिन किन बातों पर मनन किया होगा?

  • शैतान ने कैसे यीशु को फुसलाने की कोशिश की?

  • हम इस घटना से क्या-क्या सीख सकते हैं?

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