वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • क्या इंसानों की शुरूआत अदन के बाग में हुई थी?
    प्रहरीदुर्ग: अदन का बाग—क्या यह सच में था?
    • क्या इंसानों की शुरूआत अदन के बाग में हुई थी?

      सोचिए कि आप एक बड़े बगीचे में टहल रहे हैं। आस-पास गाड़ियों का कोई शोर नहीं है और चारों तरफ शांति है। आपके मन में कोई चिंता नहीं है। आपको कोई बीमारी या दर्द भी नहीं है। सबकुछ कितना अच्छा लग रहा है!

      आपकी नज़र रंग-बिरंगे फूलों पर पड़ती है। आप देखते हैं कि पास ही में एक नदी बह रही है और दूर-दूर तक हरे-भरे पेड़ नज़र आते हैं। फिर जब हवा चलती है तो आपको फूलों की महक आती है। आप पत्तों की सरसराहट और बहते पानी को सुन सकते हैं। चिड़ियों की चहचहाने की और मधुमक्खियों की भिनभिनाने की आवाज़ भी आ रही है। अगर ऐसी जगह सच में होती तो आप शायद सोचते, ‘काश! हम यहीं रह जाते।’

      कई लोग मानते हैं कि पहले इंसान को रहने के लिए ऐसे ही जगह दी गयी थी। जैसे यहूदी, इस्लाम और ईसाई धर्मों में सिखाया जाता है कि परमेश्‍वर ने पहले इंसानी जोड़े, आदम और हव्वा को रहने के लिए एक सुंदर बगीचा या फिरदौस दिया था। उस बगीचे का नाम था अदन का बाग। बाइबल की पहली किताब उत्पत्ति से पता चलता है कि वहाँ उनकी ज़िंदगी बहुत अच्छी थी। वे एक-दूसरे के साथ और जानवरों के साथ शांति से रहते थे। परमेश्‍वर के साथ भी उनका अच्छा रिश्‍ता था। परमेश्‍वर चाहता था कि वे उस खूबसूरत बगीचे में हमेशा-हमेशा तक जीएँ।​—उत्पत्ति 2:15-24.

      हिंदू धर्म को माननेवाले भी कहते हैं कि पहले के समय में इस तरह का बगीचा हुआ करता था। बौद्ध धर्म के लोग भी कुछ इसी तरह की बात करते हैं। उनका मानना है कि उनके अगुवे ऐसे समय पर धरती पर आते हैं जब धरती एक सुंदर बगीचे के जैसी होती है। इसके अलावा, अफ्रीका के कई धर्मों में भी आदम और हव्वा के किस्से से मिलती-जुलती कहानियाँ सुनायी जाती हैं।

      ध्यान दीजिए कि इस बारे में एक लेखक ने कहा, ‘अलग-अलग दौर में जीए लोगों का मानना था कि इंसान की शुरूआत एक सुंदर बगीचे या फिरदौस में हुई। वहाँ सबकुछ बहुत बढ़िया था, किसी चीज़ की कमी नहीं थी, किसी का डर नहीं था और इंसान बहुत खुश थे। इसीलिए बहुत-से लोग यह चाहने लगे कि दुनिया पहले की तरह सुंदर बन जाए।’ तो यह बात साफ है कि लंबे समय से लोग मानते आए हैं कि दुनिया शुरूआत में एक सुंदर बगीचा थी।

      ज़रा सोचिए, अगर अलग-अलग जगहों के लोग अदन के बगीचे के बारे में मिलती-जुलती बातें करते हैं, तो ज़रूर ऐसा कोई बाग रहा होगा और आदम-हव्वा सच में जीए होंगे।

      लेकिन कुछ लोगों को यह सब बातें बेतुकी लगती हैं। यहाँ तक कि कुछ धर्म के अगुवे भी कहते हैं कि असल में अदन के बाग जैसी कोई जगह नहीं थी, यह सिर्फ एक मनगढ़ंत कहानी है जो सिखाने के लिए इस्तेमाल की जाती है।

      यह बात सच है कि बाइबल में कुछ कहानियाँ मिलती हैं और यीशु ने भी लोगों को सिखाने के लिए कहानियों का इस्तेमाल किया। लेकिन बाइबल में अदन के बाग के बारे में जो बताया गया है, वह कोई कहानी नहीं बल्कि असल में हुई घटना है। क्योंकि अदन का बाग सचमुच की एक जगह थी। अगर हम कहें कि अदन के बाग जैसी कोई जगह नहीं थी, तो बाइबल की बाकी बातों पर भी यकीन नहीं किया जा सकता। आइए देखें कि कुछ लोगों को इस बात पर यकीन करना क्यों मुश्‍किल लगता है कि अदन का बाग सचमुच में था। हम यह भी देखेंगे कि अदन के बाग में हुई घटनाओं के बारे में जानना क्यों इतना ज़रूरी है।

  • क्या अदन का बाग सच में था?
    प्रहरीदुर्ग: अदन का बाग—क्या यह सच में था?
    • क्या अदन का बाग सच में था?

      दुनिया-भर में बहुत-से लोग आदम-हव्वा या अदन के बाग के बारे में जानते हैं। क्या आपने इस बारे में कभी सुना है? अगर नहीं, तो यह किस्सा आपको बाइबल में उत्पत्ति 1:26–3:24 में मिलेगा। आइए इस किस्से पर एक नज़र डालते हैं।

      यहोवा परमेश्‍वरa ने पहले इंसान आदम को मिट्टी से बनाया। उसके रहने के लिए परमेश्‍वर ने अदन नाम के इलाके में एक बाग लगाया। वहाँ पर नदियाँ बहती थीं और तरह-तरह के पेड़ थे। बाग के बीचों-बीच ‘अच्छे-बुरे के ज्ञान का एक पेड़ था।’ परमेश्‍वर ने इस पेड़ का फल खाने से मना किया था। अगर इंसान परमेश्‍वर की आज्ञा तोड़ता, तो वह मर जाता। फिर परमेश्‍वर ने सोचा कि आदम का एक जीवन-साथी होना चाहिए। इसलिए उसने आदम की पसली से पहली औरत हव्वा को बनाया। परमेश्‍वर ने उन्हें उस बगीचे की देखभाल करने की ज़िम्मेदारी दी और उनसे कहा कि वे बच्चे पैदा करें और पूरी धरती को आबाद करें।

      एक बार जब हव्वा अकेली थी, तो एक साँप ने आकर उससे बात की। उसने कहा कि परमेश्‍वर झूठ बोल रहा है और इंसानों को अच्छी चीज़ें नहीं देना चाहता। अगर वह उस पेड़ का फल खा लेगी, तो परमेश्‍वर के जैसी हो जाएगी। हव्वा साँप की बातों में आ गयी और उसने पेड़ का फल खा लिया। बाद में आदम ने भी वह फल खाकर परमेश्‍वर की आज्ञा तोड़ दी। यहोवा ने आदम-हव्वा और साँप को सज़ा सुनायी। इंसानों को अदन के बाग से निकाल दिया गया और स्वर्गदूत उस बाग पर पहरा देने लगे।

      पहले के समय में, बहुत-से पढ़े-लिखे लोग, जैसे कई विद्वान और इतिहासकार उत्पत्ति की किताब में लिखी बातों को सच मानते थे। पर आजकल कई लोगों को इन बातों पर यकीन करना मुश्‍किल लगता है। वे कहते हैं कि यह सब सिर्फ एक मनगढ़ंत कहानी है। ऐसा क्यों? आइए इस किस्से में बतायी ऐसी चार बातों पर ध्यान दें जिनकी वजह से लोग इस किस्से को सच नहीं मानते।

      1. क्या अदन का बाग सचमुच की कोई जगह थी?

      कई सालों तक कुछ चर्च के अगुवों का मानना था कि धरती पर अभी-भी कहीं-न-कहीं अदन का बाग है। लेकिन कुछ यूनानी दार्शनिकों का कहना था कि ऐसा बाग धरती पर हो ही नहीं सकता, ऐसी जगह तो सिर्फ स्वर्ग में हो सकती है। इन दार्शनिकों की सोच का असर चर्च के अगुवों पर भी होने लगा। वे भी मानने लगे कि अदन का बाग इस पापी दुनिया से बहुत दूर किसी ऊँचे पहाड़ पर रहा होगा।b कुछ और लोगों का कहना था कि यह बाग पृथ्वी के उत्तरी या दक्षिणी ध्रुव पर या चाँद के आस-पास रहा होगा। इस तरह की बातें सुनकर लोगों को लगने लगा कि अदन का बाग सचमुच की कोई जगह नहीं थी। आज के कुछ विद्वानों का भी कहना है कि अदन का बाग कहाँ था, इस बारे में बाइबल जो बताती है, उस पर यकीन नहीं किया जा सकता। इसलिए उनका मानना है कि अदन के बाग जैसी कोई जगह थी ही नहीं।

      अदन के बाग के बारे में बाइबल जो बताती है, उसे पढ़कर ऐसा नहीं लगता कि कोई कहानी बतायी जा रही है। उत्पत्ति 2:8-14 में अदन के बाग के बारे में काफी जानकारी दी गयी है। जैसे, इसमें बताया है कि पूरब की तरफ अदन नाम के इलाके में यह बाग लगाया गया था। इसमें यह भी बताया है कि इस बाग से एक नदी बहती थी जो आगे चलकर चार नदियों में बँट जाती थी। बाइबल में इन चारों नदियों के नाम दिए हैं और यह भी बताया है कि ये किन इलाकों से होकर गुज़रती थीं। इस जानकारी का इस्तेमाल करके आज कई विद्वान पता करने की कोशिश करते हैं कि अदन का बाग कहाँ रहा होगा। पर इस बारे में उन सबकी अलग-अलग राय हैं। क्या इस वजह से हमें यह मान लेना चाहिए कि अदन के बाग के बारे में बाइबल में जो बताया, वह सिर्फ एक मनगढ़ंत कहानी है?

      नहीं। ध्यान दीजिए कि अदन में हुई घटनाएँ आज से करीब 6,000 साल पहले हुई थीं। इस बीच उस इलाके में काफी कुछ बदल गया होगा। जैसे वहाँ की नदियों का रुख बदल गया होगा। इसके अलावा वहाँ कई भूकंप भी आए होंगे। नूह के दिनों में जो जलप्रलय आया था, उस वजह से भी उस इलाके का नक्शा बदल गया होगा।c इसलिए आज यह पता लगाना बहुत मुश्‍किल है कि अदन का बाग धरती पर ठीक कहाँ रहा होगा। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि मूसा ने जब अदन के बाग के बारे में लिखा, तो उस वक्‍त तक अदन का बाग मिट चुका था।

      पर फिर भी उत्पत्ति की किताब में बतायी कुछ बातों के सबूत आज भी हमें मिल सकते हैं। जैसे उसमें बतायीं दो नदियाँ, फरात और हिद्देकेल या टिग्रिस आज भी एक ही जगह से निकलती हैं। ये नदियाँ जिन इलाकों से होकर गुज़रती थीं उनके बारे में भी बाइबल में बताया गया है। वहाँ यह भी बताया है कि इन इलाकों में क्या-क्या पाया जाता है। यह जानकारी बीते ज़माने के लोगों के लिए बहुत काम की रही होगी।

      तो बाइबल में अदन के बाग के बारे में काफी बारीक जानकारी दी गयी है, जिसे जाँचा-परखा जा सकता है। आम तौर पर कहानियों में इतनी बारीक जानकारी नहीं दी जाती। इसलिए हम कह सकते हैं कि अदन का बाग सचमुच की एक जगह थी और बाइबल में दिया अदन का किस्सा कोई मनगढ़ंत कहानी नहीं बल्कि सचमुच की घटना है।

      2. क्या परमेश्‍वर ने सच में आदम को मिट्टी से बनाया और हव्वा को आदम की पसली से?

      वैज्ञानिकों ने पता किया है कि हमारा शरीर जिन चीज़ों से मिलकर बनता है, वे मिट्टी में पायी जाती हैं। पर इन चीज़ों से एक शरीर कैसे बन सकता है?

      कई वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती पर सबकुछ अपने आप आ गया। वे कहते हैं कि सभी जीव एक ही जीव से निकले और यह पहला जीव बहुत ही सरल और साधारण रहा होगा। धीरे-धीरे, कई सालों के चलते उसी एक जीव में से बाकी सभी जटिल जीव भी निकले। पर किसी भी जीव को सरल या साधारण कहना गलत होगा, क्योंकि छोटे-से-छोटा जीव बहुत जटिल होता है। और-तो-और, आज तक वैज्ञानिक यह साबित नहीं कर पाए हैं कि कोई जीव खुद-ब-खुद बन सकता है। इसके बजाय धरती पर पाए जानेवाले जीवों को देखकर यही लगता है कि इन्हें ज़रूर किसी ने बनाया होगा और वह हम इंसानों से कहीं ज़्यादा बुद्धिमान है।d​—रोमियों 1:20.

      जब आप कोई गाना सुनते हैं, कोई तसवीर देखते हैं, या एक बड़ी मशीन को काम करता देखते हैं, तो क्या आप यह सोचते हैं कि यह सब अपने आप आ गया, इसे किसी ने नहीं बनाया? बिलकुल नहीं। तो फिर हम यह कैसे कह सकते हैं कि इंसान का शरीर अपने आप बन गया होगा? इंसान का शरीर तो इन चीज़ों से और भी जटिल होता है। इसके अलावा, उत्पत्ति की किताब से यह भी पता चलता है कि परमेश्‍वर ने सिर्फ इंसानों को अपनी छवि में बनाया। (उत्पत्ति 1:26) इसलिए सिर्फ इंसान ही परमेश्‍वर की तरह नयी चीज़ें बनाने की काबिलीयत रखता है। जैसे गाने लिखना, पेंटिंग बनाना और अलग-अलग मशीनें बनाना। जब इंसान ऐसी चीज़ें बना सकता है, तो सोचिए परमेश्‍वर क्या-क्या बना सकता होगा!

      जहाँ तक औरत को बनाने की बात है, परमेश्‍वर के लिए आदमी की पसली से औरत को बनाना कोई बड़ी बात नहीं है।e परमेश्‍वर चाहता तो औरत को किसी और तरीके से भी बना सकता था। लेकिन उसने औरत को इस तरह इसलिए बनाया ताकि आदमी और औरत “एक तन” हों। (उत्पत्ति 2:24) परमेश्‍वर चाहता था कि आदमी और औरत के बीच एक गहरा रिश्‍ता हो और वे साथ मिलकर काम करें, इसलिए उसने उन्हें इस तरह बनाया। इससे पता चलता है कि यहोवा कितना बुद्धिमान और प्यार करनेवाला परमेश्‍वर है।

      आज विशेषज्ञों का भी मानना है कि सभी इंसान एक ही आदमी और औरत से निकले। इसलिए बाइबल इंसानों की शुरूआत के बारे में जो बताती है, उस पर यकीन किया जा सकता है।

      3. बाइबल में अच्छे-बुरे के ज्ञान के पेड़ और जीवन के पेड़ के बारे में जो बताया है, वह सुनने में बस एक कहानी लगती है।

      उत्पत्ति की किताब में बताए दोनों पेड़ बाग के दूसरे पेड़ों से अलग नहीं थे, उनमें कोई खास ताकत नहीं थी। पर वे पेड़ किसी बात को दर्शाते थे और परमेश्‍वर ने उनका इस्तेमाल इंसानों को कुछ समझाने के लिए किया।

      चलिए इस बात को एक उदाहरण से समझते हैं। जब लोगों से कहा जाता है कि उन्हें अपने देश के झंडे का आदर करना चाहिए, तो इसका यह मतलब नहीं होता कि उन्हें उस कपड़े का आदर करना है जिससे झंडा बना है। बल्कि उन्हें देश का आदर करना है, क्योंकि झंडा देश को दर्शाता है। उसी तरह, राजाओं का राजदंड या उनके ताज जैसी चीज़ें उनकी हुकूमत और उनके अधिकार को दर्शाती हैं।

      तो फिर ये दोनों पेड़ किस बात को दर्शाते थे? इसका जवाब जानना बहुत ज़रूरी है। इस बारे में लोगों की अलग-अलग राय हैं, पर असल में इसका जवाब बहुत आसान है। अच्छे-बुरे के ज्ञान के पेड़ से परमेश्‍वर इंसानों को यह समझाना चाहता था कि सिर्फ उसी के पास यह तय करने का अधिकार है कि क्या अच्छा है और क्या बुरा। (यिर्मयाह 10:23) इसलिए जब आदम और हव्वा ने उस पेड़ का फल खाया, तो यह कोई छोटी-मोटी गलती नहीं थी। और जीवन का पेड़ इस बात को समझाने के लिए लगाया गया था कि सिर्फ परमेश्‍वर ही इंसानों को हमेशा की ज़िंदगी दे सकता है।​—रोमियों 6:23.

      4. एक बोलनेवाले साँप की घटना बच्चों की कहानी जैसी लगती है।

      जब हम अदन के बाग का किस्सा पढ़ें, तो शायद हमारे मन में कुछ सवाल आएँ। बाइबल की बाकी बातों पर ध्यान देने से हमें इन सवालों के जवाब मिल सकते हैं। आइए ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब जानें।

      साँप तो बात नहीं कर सकते, तो असल में हव्वा से कौन बात कर रहा था? शायद बीते समय में इसराएली समझ पाए होंगे कि अदन के बाग में असल में हुआ क्या था। उन्होंने ऐसी घटनाओं के बारे में सुना था जब ऐसा लगा कि एक जानवर बात कर रहा है पर असल में एक अदृश्‍य प्राणी बात कर रहा था। जैसे, उन्होंने बिलाम के किस्से के बारे में सुना होगा, जब ऐसा लगा कि एक गधी बात कर रही है पर असल में एक स्वर्गदूत बात कर रहा था।​—गिनती 22:26-31; 2 पतरस 2:15, 16.

      क्या दुष्ट स्वर्गदूत भी इस तरह के चमत्कार कर सकते हैं? जी हाँ। इसकी एक मिसाल लीजिए। मूसा एक बार ऐसे पुजारियों से मिला जो झूठी उपासना करते थे और उन्होंने चमत्कार करके एक छड़ी को साँप में बदल दिया। ऐसा चमत्कार वे अपने दम पर तो नहीं कर पाए होंगे। उन्होंने ज़रूर किसी दुष्ट अदृश्‍य प्राणी की ताकत से ऐसा किया होगा।​—निर्गमन 7:8-12.

      ऐसा लगता है कि मूसा ने ही अय्यूब नाम की किताब लिखी। बाइबल की इस किताब से हमें परमेश्‍वर के सबसे बड़े दुश्‍मन शैतान के बारे में और भी बातें पता चलती हैं। जैसे, शैतान ने परमेश्‍वर के सेवकों की वफादारी पर सवाल खड़ा किया। (अय्यूब 1:6-11; 2:4, 5) शायद इसलिए इसराएली समझ पाए होंगे कि शैतान ने ही साँप का इस्तेमाल करके हव्वा की वफादारी तोड़ने की कोशिश की होगी।

      तो क्या हम मान सकते हैं कि शैतान ने ही साँप का इस्तेमाल करके हव्वा से बात की? जी हाँ। आइए इसकी एक और वजह पर ध्यान दें। यीशु ने शैतान के बारे में कहा कि “वह झूठा है और झूठ का पिता है।” (यूहन्‍ना 8:44) यीशु ने शैतान को “झूठ का पिता” इसलिए बोला क्योंकि उसी ने सबसे पहला झूठ बोला था। और बाइबल बताती है कि सबसे पहला झूठ साँप ने हव्वा से बोला था कि अगर वह मना किया हुआ फल खाएगी, तो ‘हरगिज़ नहीं मरेगी।’ (उत्पत्ति 3:4) इससे पता चलता है कि जब साँप ने हव्वा से बात की, तो असल में शैतान बात कर रहा था। यह बात हम पक्के तौर पर इसलिए भी कह सकते हैं क्योंकि प्रकाशितवाक्य की किताब में शैतान को “वही पुराना साँप” कहा गया है और ये बातें खुद यीशु ने प्रकट की थीं।​—प्रकाशितवाक्य 1:1; 12:9.

      क्या ऐसा मुमकिन है कि एक अदृश्‍य प्राणी एक साँप का इस तरह इस्तेमाल करे कि ऐसा लगे साँप बात कर रहा है? हाँ, ऐसा तो इंसान भी कर सकते हैं। शायद आपने देखा हो कि कैसे एक आदमी कठपुतली का इस्तेमाल करके आवाज़ें निकालता है और लोगों को लगता है कि कठपुतली ही बात कर रही है।

      सबसे बड़ा सबूत

      तो हमने देखा कि हमारे पास इस बात के पक्के सबूत हैं कि उत्पत्ति की किताब में लिखी बातें सच्ची हैं।

      इन सबूतों में से सबसे बड़ा सबूत खुद यीशु ने दिया जिसे बाइबल “विश्‍वासयोग्य और सच्चा साक्षी” कहती है। (प्रकाशितवाक्य 3:14) यीशु परिपूर्ण था, उसने कभी झूठ नहीं बोला और न ही सच को तोड़-मरोड़कर पेश किया। उसने बताया कि “दुनिया की शुरूआत से पहले” ही वह अपने पिता यहोवा के साथ स्वर्ग में था। (यूहन्‍ना 17:5) चलिए देखते हैं कि क्या यीशु ने कभी आदम और हव्वा के बारे में बात की।

      जब यीशु लोगों को शादी के बारे में यहोवा के स्तर समझा रहा था, तो उसने आदम और हव्वा की बात की। (मत्ती 19:3-6) सोचिए, अगर आदम-हव्वा और अदन का बाग था ही नहीं, तो क्या यीशु यहाँ झूठ बोल रहा था या उसे पूरी जानकारी नहीं थी? ऐसा तो हो ही नहीं सकता क्योंकि जब अदन के बाग में हुई घटनाएँ घटीं, तो यीशु स्वर्ग में मौजूद था और सबकुछ देख रहा था। इसलिए हम यीशु की बात पर पूरा यकीन कर सकते हैं।

      सच तो यह है कि अगर कोई उत्पत्ति की किताब में लिखी बातों को सच नहीं मानता, तो वह यीशु पर भी विश्‍वास नहीं कर सकता। और उसके लिए बाइबल की दूसरी सच्चाइयों और वादों पर यकीन करना भी मुश्‍किल है। आइए जानें कि ऐसा क्यों है।

      [फुटनोट]

      a बाइबल बताती है कि परमेश्‍वर का नाम यहोवा है।

      b यह बात बाइबल के हिसाब से सही नहीं है। बाइबल तो बताती है कि परमेश्‍वर ने जो कुछ बनाया वह सब बिलकुल परिपूर्ण था, पाप तो बाद में आया। (व्यवस्थाविवरण 32:4, 5) जब यहोवा पूरी धरती बना चुका था, तो उसने देखा कि “सबकुछ बहुत बढ़िया था।”​—उत्पत्ति 1:31.

      c परमेश्‍वर जो जलप्रलय लेकर आया, उसमें अदन का बाग पूरी तरह खत्म हो गया। ईसा पूर्व 600 के आस-पास यहेजकेल ने अपनी किताब में जो लिखा, उससे ऐसा लगता है कि “अदन के सारे पेड़” बहुत समय पहले ही खत्म हो गए थे। (यहेजकेल 31:18) तो अगर कोई ढूँढ़ने भी जाता तो उसे अदन का बाग नहीं मिलता।

      d ब्रोशर जीवन की शुरूआत, पाँच सवाल—जवाब पाना ज़रूरी  देखिए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

      e विशेषज्ञों का कहना है कि अगर पसली का कुछ हिस्सा निकाल भी दिया जाए, तो वह दोबारा बढ़कर पहले की तरह हो जाती है।

  • अदन के बाग के बारे में जानना आपके लिए क्यों ज़रूरी है?
    प्रहरीदुर्ग: अदन का बाग—क्या यह सच में था?
    • अदन के बाग के बारे में जानना आपके लिए क्यों ज़रूरी है?

      कुछ लोग अदन के किस्से पर इसलिए यकीन नहीं करते क्योंकि उनका मानना है कि बाइबल की दूसरी किताबों में अदन के बाग के बारे में कुछ नहीं बताया गया है। जैसे धर्मों का अध्ययन करनेवाले प्रोफेसर पॉल मॉरिस कहते हैं, “उत्पत्ति के अलावा, बाइबल की दूसरी किताबों में अदन के बाग का सीधा-सीधा कोई ज़िक्र नहीं मिलता।” उनके जैसे दूसरे विद्वान भी उनकी बातों से सहमत हैं। लेकिन उनकी यह सोच गलत है।

      सच तो यह है कि बाइबल में अदन के बाग, आदम-हव्वा और साँप का कई बार ज़िक्र किया गया है।a लेकिन विद्वानों से भी बड़ी गलती धर्म गुरु और बाइबल में गलतियाँ निकालनेवाले लोग करते हैं। जब वे कहते हैं कि अदन का किस्सा सच नहीं है, तो वे एक तरह से पूरी बाइबल पर सवाल खड़ा कर रहे होते हैं। हम ऐसा क्यों कह सकते हैं?

      अगर हम अदन के बाग में हुई घटनाओं को समझेंगे, तभी हम बाइबल की बाकी बातों को अच्छी तरह समझ पाएँगे। बाइबल में जिन ज़रूरी सवालों के जवाब दिए हैं, वे किसी-न-किसी तरीके से अदन के किस्से से जुड़े हैं। आइए ऐसे कुछ सवालों पर चर्चा करें।

      ● हम क्यों बूढ़े होते हैं और मर जाते हैं? अगर आदम और हव्वा यहोवा की बात मानते, तो वे हमेशा तक जी सकते थे। लेकिन जिस दिन उन्होंने आज्ञा तोड़ी, वे बूढ़े होने लगे और आगे चलकर मर गए। (उत्पत्ति 2:16, 17; 3:19) जब आदम और हव्वा ने आज्ञा तोड़कर पाप किया तो वे अपरिपूर्ण हो गए। और उनकी जो भी संतानें हुईं उन्हें भी पाप और अपरिपूर्णता विरासत में मिली। इसीलिए बाइबल में आदम के बारे में लिखा है, “एक आदमी से पाप दुनिया में आया और पाप से मौत आयी और इस तरह मौत सब इंसानों में फैल गयी क्योंकि सबने पाप किया।”​—रोमियों 5:12.

      ● परमेश्‍वर ने बुराई और तकलीफें क्यों रहने दी हैं? अदन के बाग में शैतान ने यहोवा पर इलज़ाम लगाया कि वह झूठा है और इंसानों को अच्छी चीज़ें नहीं देना चाहता। (उत्पत्ति 3:3-5) शैतान कह रहा था कि यहोवा एक अच्छा राजा नहीं है। आदम और हव्वा शैतान की बातों में आ गए और उन्होंने भी यहोवा से बगावत की। इस तरह उन्होंने दिखाया कि वे यहोवा की नहीं सुनना चाहते और खुद तय करना चाहते हैं कि क्या अच्छा है और क्या बुरा। यहोवा जानता था कि इस मसले को निपटाने में वक्‍त लगेगा। इसलिए उसने कुछ समय के लिए शैतान और इंसानों को राज करने का मौका दिया है। जब से वे दुनिया पर राज करने लगे हैं, तब से तकलीफें ही आयी हैं। इससे बाइबल की यह बात सच साबित होती है कि इंसान खुद पर राज करने के काबिल नहीं है।​—यिर्मयाह 10:23.

      ● परमेश्‍वर ने धरती क्यों बनायी? जब परमेश्‍वर ने अदन का बाग लगाया, तो वह चाहता था कि पूरी धरती इस बाग की तरह सुंदर हो जाए। इसलिए परमेश्‍वर ने आदम और हव्वा से कहा कि वे बच्चे पैदा करें, पूरी धरती पर ‘अधिकार रखें’ और इसे अदन के बाग की तरह खूबसूरत बना दें। (उत्पत्ति 1:28) परमेश्‍वर का मकसद अभी-भी नहीं बदला है। वह चाहता है कि यह धरती खूबसूरत बन जाए और परिपूर्ण इंसान इस पर साथ मिलकर हमेशा तक जीएँ। बाइबल में लिखी लगभग सभी बातें किसी-न-किसी तरह से परमेश्‍वर के इसी मकसद से जुड़ी हैं।

      ● यीशु धरती पर क्यों आया? जब आदम और हव्वा ने परमेश्‍वर की आज्ञा तोड़ दी, तो वे आगे चलकर मर गए। और उन्होंने अपने बच्चों को भी विरासत में मौत दे दी। लेकिन यहोवा हमसे बहुत प्यार करता है इसलिए उसने अपने बेटे को धरती पर भेजा ताकि वह हमारे लिए फिरौती बलिदान दे। (मत्ती 20:28) बाइबल में यीशु को “आखिरी आदम” कहा गया है। वह इसलिए कि वह आदम की तरह परिपूर्ण था। बस फर्क यही है कि यीशु ने हमेशा यहोवा की आज्ञा मानी। उसने इंसानों के लिए अपना परिपूर्ण जीवन दे दिया। इसी इंतज़ाम को फिरौती बलिदान कहा जाता है। इस बलिदान से हमें पापों की माफी मिलती है और आगे चलकर जब धरती अदन के बाग की तरह खूबसूरत बन जाएगी तो हम उस पर हमेशा तक जी पाएँगे। (1 कुरिंथियों 15:22, 45; यूहन्‍ना 3:16) तो यीशु का बलिदान इस बात की गारंटी है कि यहोवा ज़रूर इस धरती को अदन के बाग जैसा खूबसूरत बना देगा।b

      परमेश्‍वर का मकसद ज़रूर पूरा होगा। यह कोई सपना नहीं है। जिस तरह बाइबल में बताया अदन का बाग सच में था, उसमें रहनेवाले जानवर और इंसान सच में थे, उसी तरह बाइबल में बताया यहोवा का मकसद और उसके वादे भी सच में पूरे होंगे। क्या आप भी इन वादों को पूरा होते हुए देखना चाहते हैं? यह आपके हाथ में है। परमेश्‍वर तो चाहता है कि ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग इन वादों को पूरा होते हुए देखें। यहाँ तक कि वे लोग भी जिन्होंने पहले बुरे काम किए हैं।​—1 तीमुथियुस 2:3, 4.

      यीशु जब धरती पर था तो अपनी मौत से पहले उसने एक ऐसे आदमी से बात की जो एक अपराधी था। वह आदमी जानता था कि वह मौत की सज़ा पाने के लायक है। फिर भी एक उम्मीद पाने के लिए और दिलासा पाने के लिए उसने यीशु से बात की। तब यीशु ने उससे कहा, “तू मेरे साथ फिरदौस में होगा।” (लूका 23:43) अगर यीशु ऐसे अपराधी को भी फिरदौस में जीने का मौका दे सकता है, तो सोचिए क्या यीशु और उसका पिता नहीं चाहेंगे कि आप भी फिरदौस में हमेशा तक जीएँ? अगर आप भी फिरदौस में जीना चाहते हैं, तो परमेश्‍वर के बारे में ज़्यादा-से-ज़्यादा सीखते रहिए।

      [फुटनोट]

      a जैसे उत्पत्ति 13:10; व्यवस्थाविवरण 32:8; 1 इतिहास 1:1; यशायाह 51:3; यहेजकेल 28:13; 31:8, 9; लूका 3:38; रोमियों 5:12-14; 1 कुरिंथियों 15:22, 45; 2 कुरिंथियों 11:3; 1 तीमुथियुस 2:13, 14; यहूदा 14 और प्रकाशितवाक्य 12:9 देखिए।

      b यीशु के फिरौती बलिदान के बारे में और जानने के लिए बाइबल असल में क्या सिखाती है?  किताब का अध्याय 5 देखिए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

      [बक्स/तसवीर]

      एक ऐसी भविष्यवाणी जो पूरी बाइबल समझने के लिए ज़रूरी है

      “मैं तेरे [यानी साँप] और औरत के बीच और तेरे वंश और उसके वंश के बीच दुश्‍मनी पैदा करूँगा। वह तेरा सिर कुचल डालेगा और तू उसकी एड़ी को घायल करेगा।”​—उत्पत्ति 3:15.

      यह बाइबल की पहली भविष्यवाणी है जो परमेश्‍वर ने अदन के बाग में की थी। इसमें एक औरत, औरत के वंश, एक साँप और साँप के वंश के बारे में बताया है और कहा है कि उनके बीच “दुश्‍मनी” होगी। यह भविष्यवाणी कैसे पूरी होती?

      साँप

      शैतान।​—प्रकाशितवाक्य 12:9.

      औरत

      यहोवा के संगठन का वह हिस्सा जो स्वर्ग में है और जिसमें लाखों-करोड़ों वफादार स्वर्गदूत हैं। (गलातियों 4:26, 27) भविष्यवक्‍ता यशायाह ने बताया कि इस “औरत” से एक राष्ट्र निकलेगा जो परमेश्‍वर का चुना हुआ होगा।​—यशायाह 54:1; 66:8.

      साँप का वंश

      दुष्ट स्वर्गदूत और इंसान जो शैतान का साथ देते हैं।​—यूहन्‍ना 8:44.

      औरत का वंश

      इसका मुख्य भाग यीशु मसीह है। औरत के “वंश” का दूसरा भाग अभिषिक्‍त मसीही हैं जो स्वर्ग में यीशु के साथ राज कर रहे हैं। इन मसीहियों को एक राष्ट्र यानी ‘परमेश्‍वर का इसराएल’ भी कहा जाता है।​—गलातियों 3:16, 29; 6:16; उत्पत्ति 22:18.

      एड़ी को घायल करना

      एक ऐसी चोट जिसमें दर्द तो होता है लेकिन सिर्फ कुछ दिनों के लिए। जब यीशु धरती पर था तो शैतान ने उसे मरवा डाला। लेकिन कुछ दिनों बाद यीशु को दोबारा ज़िंदा कर दिया गया।

      सिर को कुचलना

      पूरी तरह खत्म कर देना। यीशु शैतान के साथ ऐसा ही करेगा। इससे पहले यीशु एक और काम भी करेगा। शैतान ने अदन के समय से लेकर अब तक जो भी नुकसान किए हैं यीशु उन्हें भी ठीक कर देगा।​—1 यूहन्‍ना 3:8; प्रकाशितवाक्य 20:10.

      बाइबल का मुख्य संदेश क्या है, यह जानने के लिए परमेश्‍वर का पैगाम​—आपके नाम  ब्रोशर पढ़िए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

      [तसवीर]

      आदम और हव्वा ने जो पाप किया, उसके बहुत भयानक अंजाम हुए

हिंदी साहित्य (1972-2025)
लॉग-आउट
लॉग-इन
  • हिंदी
  • दूसरों को भेजें
  • पसंदीदा सेटिंग्स
  • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
  • इस्तेमाल की शर्तें
  • गोपनीयता नीति
  • गोपनीयता सेटिंग्स
  • JW.ORG
  • लॉग-इन
दूसरों को भेजें