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पहले इंसानी जोड़े से हम सबक सीख सकते हैंप्रहरीदुर्ग—2000 | नवंबर 15
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परमेश्वर ने पृथ्वी ग्रह की जाँच-परख की। वह इंसानों के रहने के लिए इसे तैयार कर रहा था। उसने देखा कि वह जो कुछ बना रहा था वह अच्छा था। दरअसल, जब यह काम खत्म हो गया, तब उसने कहा कि सब “अच्छा है।” (उत्पत्ति 1:12, 18, 21, 25, 31) मगर इस नतीजे पर पहुँचने से पहले, एक मौके पर परमेश्वर ने कहा कि यह “अच्छा नहीं।” परमेश्वर ने जो बनाया था उसमें तो कोई भी खोट नहीं थी। लेकिन हाँ, उसकी सृष्टि अभी अधूरी थी। यहोवा ने कहा, “आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं; मैं उसके लिये एक ऐसा सहायक बनाऊंगा जो उस से मेल खाए।”—उत्पत्ति 2:18.
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पहले इंसानी जोड़े से हम सबक सीख सकते हैंप्रहरीदुर्ग—2000 | नवंबर 15
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आदमी को एक “सहायक” की ज़रूरत थी। अब उसके पास एक ऐसा साथी था जो उससे पूरी तरह मेल खाता था। हव्वा, आदम की साथी बनकर उसका हाथ बँटाने के लिए बिलकुल सही थी। उन्हें मिलकर अपने घर अदन बाग की और जानवरों की देखभाल करनी थी। उन्हें बच्चे पैदा करने थे और सच्चे साथी बनकर एक-दूसरे का साथ निभाना था और एक-दूसरे को सही तरीके से सोचने में मदद करनी थी।—उत्पत्ति 1:26-30.
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