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  • यहोवा को स्वीकारयोग्य बलिदान चढ़ाना
    प्रहरीदुर्ग—1999 | फरवरी 1
    • कई साल बाद, शायद जब कैन और हाबिल की काफी उम्र हो चुकी थी तब उन्होंने यहोवा को अपनी-अपनी भेंट चढ़ाई। चूँकि हाबिल एक चरवाहा था तो इसमें अचरज की बात नहीं कि उसने “भेड़-बकरियों के कई एक पहिलौठे बच्चे” भेंट चढ़ाए। इसके विपरीत कैन ने “भूमि की उपज में से कुछ” भेंट चढ़ाई। यहोवा ने हाबिल की भेंट को तो स्वीकार किया लेकिन “कैन और उसकी भेंट को उस ने ग्रहण न किया।” (उत्पत्ति ४:३-५) क्यों नहीं?

      कुछ विद्वान कहते हैं कि ऐसा इसलिए था क्योंकि हाबिल की भेंट ‘अपनी भेड़-बकरियों के पहिलौठे बच्चे’ थे, जबकि कैन ने महज “भूमि की उपज में से कुछ” भेंट चढ़ाई थी। लेकिन सच तो यह है कि कैन की भेंट में कोई खोट नहीं था क्योंकि बाइबल बताती है कि यहोवा की नज़र “हाबिल और उसकी भेंट” पर थी और उसने उसे ग्रहण किया और उसकी नज़र में “कैन और उसकी भेंट” स्वीकार करने के लायक नहीं थी। इससे पता चलता है कि यहोवा की नज़र उसकी उपासना करेवाले के दिल को देख रही थी। और जब उसने उसके दिल को देखा तब क्या पाया? इब्रानियों ११:४ बताता है कि हाबिल ने अपनी भेंट “विश्‍वास” के साथ चढ़ाई थी। मगर कैन ने भेंट चढ़ाते वक्‍त हाबिल जैसा विश्‍वास नहीं दिखाया। इसलिए उसकी भेंट स्वीकार नहीं की गई जबकि हाबिल की भेंट स्वीकार कर ली गई।

  • यहोवा को स्वीकारयोग्य बलिदान चढ़ाना
    प्रहरीदुर्ग—1999 | फरवरी 1
    • इसके विपरीत, कैन ने अपनी भेंट के बारे में इतनी गंभीरता से नहीं सोचा था। १९वीं सदी के एक बाइबल टीकाकार का ऐसा मानना है, “उसका बलिदान चढ़ाना महज़ यह दिखाना था कि परमेश्‍वर है और हमें बहुत कुछ देता है। . . . इससे साफ ज़ाहिर हुआ कि कैन यह बात नहीं मानता था कि उसके और उसके सृष्टिकर्ता के बीच असल में कोई दूरी है, ना ही उसे लगता था कि उसे अपने पापों को स्वीकार करने की या किसी प्रायश्‍चित की ज़रूरत है।”

      इसके अलावा, पहिलौठा होने के नाते कैन ने शायद अपने आप ही यह निष्कर्ष निकाल लिया हो कि वह खुद ही प्रतिज्ञात वंश है जो सर्प, यानी शैतान का नाश करेगा। हो सकता है कि हव्वा ने भी अपने पहिलौठे पुत्र के बारे में ऐसी ही बड़ी-बड़ी उम्मीदें लगायी हों। (उत्पत्ति ४:१) अगर कैन और हव्वा ने यही उम्मीद लगायी थी तो बेशक, वे गलत थे।

      बाइबल नहीं बताती कि यहोवा ने हाबिल के बलिदान को किस तरह स्वीकार किया। कुछ विद्वान कहते हैं कि स्वर्ग से आग बरसी और बलिदान को भस्म कर गई। चाहे जो हुआ हो, यह जानने के बाद कि उसकी भेंट अस्वीकार की गई, “कैन अति क्रोधित हुआ, और उसके मुंह पर उदासी छा गई।” (उत्पत्ति ४:५) कैन ने ऐसा रास्ता चुना था जिसका अंत बहुत बुरा होता।

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