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  • यहोवा को स्वीकारयोग्य बलिदान चढ़ाना
    प्रहरीदुर्ग—1999 | फरवरी 1
    • यहोवा ने कैन को समझाया और उससे पूछा, “तू क्यों क्रोधित हुआ? और तेरे मुंह पर उदासी क्यों छा गई है?” इस सवाल से कैन को अपनी भावनाओं और इरादों को जाँचने का मौका मिला। यहोवा ने आगे कहा, “यदि तू भला करे, तो क्या तेरी भेंट ग्रहण न की जाएगी? और यदि तू भला न करे, तो पाप द्वार पर छिपा रहता है, और उसकी लालसा तेरी ओर होगी, और [क्या] तू उस पर प्रभुता करेगा[?]”—उत्पत्ति ४:६, ७. (पेज २३ पर बक्स देखिए।)

  • यहोवा को स्वीकारयोग्य बलिदान चढ़ाना
    प्रहरीदुर्ग—1999 | फरवरी 1
    • हाबिल की हत्या से पहले और बाद में भी, कैन ने ‘भलाई’ नहीं की। कैन ने पाप को अपने पर प्रभुता करने दी और इसलिए उसे उस जगह से निकाल दिया गया जहाँ बाकी मानव परिवार रहता था। उसे एक “चिन्ह” दिया गया ताकि कोई कैन की हत्या करके हाबिल के खून का पलटा न ले। यह चिन्ह शायद परमेश्‍वर द्वारा दी गई केवल एक आज्ञा थी।—उत्पत्ति ४:१५.

  • यहोवा को स्वीकारयोग्य बलिदान चढ़ाना
    प्रहरीदुर्ग—1999 | फरवरी 1
    • “तूक्यों क्रोधित हुआ? और तेरे मुंह पर उदासी क्यों छा गई है?” यह सवाल पूछकर यहोवा ने बड़े प्यार से कैन को समझाया। उसने ज़बरदस्ती करके कैन को बदलने पर मजबूर नहीं किया क्योंकि कैन अपना चुनाव खुद करने के लिए आज़ाद था। (­व्यवस्थाविवरण ३०:१९ से तुलना कीजिए।) फिर भी, यहोवा ने यह बताने में भी झिझक महसूस नहीं की कि कैन के गलत रास्ते पर चलने के नतीजे क्या होंगे। उसने कैन को चिताया: “यदि तू भला न करे, तो पाप द्वार पर छिपा रहता है, और उसकी लालसा तेरी ओर होगी।”—उत्पत्ति ४:६, ७.

      यह बात गौर करने लायक है कि कैन को इतनी तगड़ी फटकार सुनाने के बाद भी, यहोवा ने उसे ‘गया-गुज़रा’ समझकर छोड़ नहीं दिया। इसके बजाय उसने कैन को उन आशीषों के बारे में बताया जो उसे अपना रास्ता बदलने पर मिलतीं। यहोवा ने अपना यह भरोसा भी दिखाया कि अगर कैन चाहे तो अपनी कमज़ोरी पर जीत हासिल कर सकता है। यहोवा ने कहा, “यदि तू भला करे, तो क्या तेरी भेंट ग्रहण न की जाएगी?” उसने कैन के खूनी क्रोध के विषय में यह भी पूछा, “[क्या] तू उस पर प्रभुता करेगा[?]”

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