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  • सांत्वना के लिए यहोवा की ओर देखिए
    प्रहरीदुर्ग—1996 | नवंबर 1
    • ६. (क) मानवजाति के पाप में पतन के बाद परमेश्‍वर ने कौन-सी सांत्वनादायक प्रतिज्ञा की? (ख) लेमेक ने सांत्वना के सम्बन्ध में कौन-सी भविष्यवाणी कही?

      ६ मनुष्य के विद्रोह को भड़कानेवाले को दंड सुनाते वक़्त, यहोवा ‘सांत्वना का दाता परमेश्‍वर’ साबित हुआ। (रोमियों १५:५) उसने एक “वंश” को भेजने की प्रतिज्ञा करने के द्वारा ऐसा किया जो आख़िरकार आदम की संतान को आदम के विद्रोह के अनर्थकारी प्रभावों से छुड़ाता। (उत्पत्ति ३:१५) कुछ समय बाद, परमेश्‍वर ने इस छुटकारे का पूर्वदर्शन भी दिया। उदाहरण के लिए, आदम के पुत्र शेत से उसके दूर के वंशज, लेमेक को उसने उत्प्रेरित किया कि लेमेक का पुत्र जो करता उसकी भविष्यवाणी करे: “यहोवा ने जो पृथ्वी को शाप दिया है, उसके विषय यह लड़का हमारे काम में, और उस कठिन परिश्रम में जो हम करते हैं, हम को शान्ति [सांत्वना] देगा।” (उत्पत्ति ५:२९) इस प्रतिज्ञा के सामंजस्य में, उस लड़के का नाम नूह रखा गया, जिसका अर्थ “विश्राम” या “दिलासा” समझा जाता है।

  • सांत्वना के लिए यहोवा की ओर देखिए
    प्रहरीदुर्ग—1996 | नवंबर 1
    • ८ यहोवा ने उस दुष्ट संसार का एक विश्‍वव्याप्त जलप्रलय के द्वारा विनाश करने का उद्देश्‍य रखा, लेकिन पहले उसने जीवन को बनाए रखने के लिए नूह से एक जहाज़ बनवाया। अतः, मानवजाति और प्राणियों की जातियाँ बच गयीं। नूह और उसके परिवार ने जलप्रलय के बाद कितनी राहत महसूस की होगी जब उन्होंने जहाज़ से बाहर निकलकर एक साफ़ की गयी पृथ्वी पर क़दम रखा! यह पाना कितना सांत्वनादायक था कि पृथ्वी पर का शाप उठा लिया गया था, जिससे कृषि कार्य कितना ज़्यादा आसान हो गया था! सचमुच, लेमेक की भविष्यवाणी सच साबित हुई, और नूह अपने नाम के अर्थ पर पूरा उतरा। (उत्पत्ति ८:२१) परमेश्‍वर के एक विश्‍वासी सेवक के तौर पर, नूह ने मानवजाति को कुछ हद तक “सांत्वना” देने में एक माध्यम का काम किया। लेकिन, शैतान और उसके पिशाच स्वर्गदूतों का दुष्ट प्रभाव जलप्रलय के साथ ख़त्म नहीं हुआ, और मानवजाति पाप, बीमारी और मृत्यु के बोझ तले अब भी कराह रही है।

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