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  • मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
  • मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले—2020
  • उपशीर्षक
  • 3-9 फरवरी
  • 10-16 फरवरी
  • 17-23 फरवरी
  • 24 फरवरी–1 मार्च
  • “सारा की बात मान”
मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले—2020
mwbr20 फरवरी पेज 1-7

मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले

3-9 फरवरी

पाएँ बाइबल का खज़ाना | उत्पत्ति 12-14

“वह करार जिससे आपको फायदा हो सकता है”

इंसाइट-1 पेज 522 पै 4

करार

अब्राहम के साथ करार। यह करार तब लागू होना शुरू हुआ, जब अब्राम (अब्राहम) ने कनान देश में कदम रखने के लिए फरात नदी पार की। इसके 430 साल बाद कानून का करार किया गया। (गल 3:17) जब अब्राहम मेसोपोटामिया के इलाके में कसदियों के शहर ऊर में रहता था, तब यहोवा ने उसे एक ऐसे देश में जाने के लिए कहा जो वह उसे दिखाता। (प्रेष 7:2, 3; उत 11:31; 12:1-3) सेप्टुआजेंट बाइबल में निर्गमन 12:40, 41 से पता चलता है कि जिस दिन कनान और मिस्र में इसराएलियों के 430 साल पूरे हुए, “उसी दिन” वे मिस्र से जहाँ वे गुलाम थे, आज़ाद होकर निकले। यह ईसा पूर्व 1513 में नीसान 14 का दिन था। इसी दिन फसह का त्योहार मनाया गया था। (निर्ग 12:2, 6, 7) इससे पता चलता है कि 430 साल पहले अब्राहम ने ईसा पूर्व 1943 में नीसान 14 के दिन फरात नदी पार की थी। उसी मौके पर उसके साथ किया करार लागू होना शुरू हुआ। जब अब्राहम कनान में सफर करते-करते शेकेम पहुँचा, तब यहोवा उसके सामने एक बार फिर प्रकट हुआ और उसे अपने वादे के बारे में और जानकारी दी। उसने अब्राहम से कहा, “मैं यह देश तेरे वंश को दूँगा।” इससे ज़ाहिर हुआ कि इस करार का और अदन में जिस वंश का वादा किया गया था, उन दोनों में गहरा नाता है। इससे यह भी पता चला कि वह वंश एक इंसान होता। (उत 12:4-7) यहोवा ने आगे चलकर इस वंश के बारे में और भी जानकारी दी, जो उत्पत्ति 13:14-17; 15:18; 17:2-8, 19; 22:15-18 में दर्ज़ है।

प्र89 7/1 पेज 3 पै 4, अँग्रेज़ी

आपको अब्राहम के बारे में सच्चाई क्यों मालूम होनी चाहिए?

यह वादा वाकई हैरान कर देनेवाला है। यहोवा ने दो और मौकों पर अब्राहम के सामने इस वादे को दोहराया था। (उत्पत्ति 18:18; 22:18) अपना यह वादा पूरा करने के लिए परमेश्‍वर ऐसे कुल के लोगों को भी दोबारा ज़िंदा करेगा, जिनका अस्तित्त्व मिट चुका है। यह ज़िंदगी वाकई उनके लिए एक आशीष साबित होगी, क्योंकि उस वक्‍त धरती फिर से अदन के बाग जैसी हो जाएगी। फिर इन लोगों को सिखाया जाएगा कि वे हमेशा जीने के लिए क्या कर सकते हैं।​—उत्पत्ति 2:8, 9, 15-17; 3:17-23.

इंसाइट-2 पेज 213 पै 3

कानून

इतिहास से मिले सबूतों के आधार पर कुछ विद्वानों का मानना है कि जब ज़मीन की लेन-देन की बात आती थी, तो खरीदार को पहले एक ऊँची जगह पर ले जाया जाता था। फिर उसे ज़मीन और उसकी सरहदें दिखायी जाती थीं। अगर खरीदार कहता, “मैंने देख लिया है,” तो इसका मतलब होता था कि यह ज़मीन उसे पसंद है और अब उस पर उसका कानूनी हक होगा। जब यहोवा ने अब्राहम से कनान देश देने का वादा किया था, तब उसने अब्राहम से कहा कि पहले वह आँखें उठाकर चारों तरफ देखे। लेकिन अब्राहम ने यह नहीं कहा कि “मैंने देख लिया है।” इसकी वजह यह हो सकती है कि परमेश्‍वर ने यह देश उसके आनेवाले वंश को देने का वादा किया था, न कि उसे देने का। (उत 13:14, 15) इसराएल के प्रतिनिधि मूसा से भी कहा गया था कि वह वादा किए गए देश को ‘देखे।’ अगर विद्वानों की राय सही है, तो मूसा के देखने का मतलब यह था कि यहोवा वह देश इसराएलियों को दे रहा है और यहोशू उनका अगुवा बनकर उन्हें उस देश में ले जाता। (व्य 3:27, 28; 34:4; यह भी गौर कीजिए कि मत 4:8 में शैतान ने किस तरह यीशु को लालच दिया।) इसके अलावा, जब कोई व्यक्‍ति किसी ज़मीन पर पैर रखता था या उसका दौरा करता था, तो वह ज़मीन कानूनी रूप से उसकी हो जाती थी। (उत 13:17; 28:13) कुछ प्राचीन दस्तावेज़ों के मुताबिक ज़मीन बेचते वक्‍त यह भी लिखा जाता था कि उस ज़मीन में कितने पेड़ हैं।​—उत 23:17, 18 से तुलना करें।

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प्र16.05 पेज 5 पै 12

प्यार से आपसी मनमुटाव सुलझाइए

12 जैसे हमने लेख की शुरूआत में देखा, बाइबल में दर्ज़ एक ब्यौरे में परमेश्‍वर के सेवकों ने एक ऐसा मसला शांति से निपटाया, जिसमें बात बिगड़ सकती थी। वह मसला था, अब्राहम और उसके भतीजे लूत के बीच। दोनों आदमियों के पास मवेशी थे और ऐसा लगता है कि उनके चरवाहे चरागाह को लेकर झगड़ने लगे थे। अब्राहम जल्द-से-जल्द मामला सुलझाना चाहता था इसलिए उसने लूत से कहा कि वह पहले अपने घराने के लिए इलाका चुन ले। (उत्प. 13:1, 2, 5-9) क्या ही बढ़िया मिसाल! अब्राहम ने अपना भला चाहने के बजाय शांति बनाए रखने की कोशिश की। दरियादिल होने की वजह से क्या उसे नुकसान उठाना पड़ा? बिलकुल नहीं। इस घटना के फौरन बाद, यहोवा ने अब्राहम को बड़ी-बड़ी आशीषें देने का वादा किया। (उत्प. 13:14-17) अगर परमेश्‍वर के सेवक बाइबल में दिए सिद्धांतों पर चलेंगे और प्यार से झगड़े सुलझाएँगे, तो परमेश्‍वर उनका कोई ऐसा नुकसान नहीं होने देगा जिसकी कभी भरपाई न हो सके।

इंसाइट-2 पेज 683 पै 1

याजक

मेल्कीसेदेक शालेम का राजा और याजक (को-हेन) भी था। उसके जैसा याजक कोई नहीं था। बाइबल में उसकी वंशावली, जन्म या मौत का कहीं कोई ज़िक्र नहीं मिलता। मेल्कीसेदेक को याजकपद विरासत में नहीं मिला था और उसकी जगह न पहले कोई याजक था, न बाद में कोई हुआ। उसने राजा और याजक दोनों पद पर सेवा की थी। उसका याजकपद लेवी गोत्र के याजकपद से कहीं महान था, क्योंकि लेवी ने मेल्कीसेदेक को दसवाँ हिस्सा दिया। वह कैसे? दरअसल लेवी भविष्य में अब्राहम का वंशज होता, तो जब अब्राहम ने मेल्कीसेदेक को दसवाँ हिस्सा दिया और बदले में उससे आशीष पायी, तब यह ऐसा था मानो लेवी ने दसवाँ हिस्सा दिया। (उत 14:18-20; इब्र 7:4-10) इन मामलों में मेल्कीसेदेक, यीशु मसीह को दर्शाता है, जो ‘मेल्कीसेदेक जैसा याजक है और हमेशा-हमेशा के लिए याजक रहेगा।’​—इब्र 7:17.

प्र12 1/1 पेज 8, अँग्रेज़ी

परमेश्‍वर का डर माननेवाली औरत और प्यारी पत्नी

सारा की शादी ऐसे आदमी से हुई थी जिसका विश्‍वास बहुत मज़बूत था। लेकिन सारा खुद भी विश्‍वास की एक बढ़िया मिसाल थी। गौर करनेवाली बात है कि बाइबल में तीन बार कहा गया है कि सारा एक ऐसी औरत थी, जिसके नक्शे-कदम पर परमेश्‍वर का डर माननेवाली औरतें चल सकती हैं। (यशायाह 51:1, 2; इब्रानियों 11:11; 1 पतरस 3:3-6) बाइबल में सारा के बारे में बहुत कम जानकारी दी गयी है, मगर जितना भी लिखा है, उससे हम समझ सकते हैं कि वह एक लाजवाब औरत थी।

उदाहरण के लिए, जब अब्राहम ने सारा को बताया कि उन्हें परमेश्‍वर की आज्ञा के मुताबिक ऊर शहर छोड़कर दूसरी जगह जाना है, तो सोचिए सारा को कैसा लगा होगा? क्या उसके मन में यह खयाल आया होगा कि वे क्यों और कहाँ जा रहे हैं? क्या उसे चिंता होने लगी कि उनकी ज़रूरतें कैसे पूरी होंगी? क्या उसे यह सोचकर दुख हुआ होगा कि वह अपने दोस्तों और रिश्‍तेदारों को छोड़कर जा रही है और वह शायद उन्हें फिर कभी नहीं देख पाएगी? बेशक ये सारे खयाल उसके मन में ज़रूर आए होंगे, मगर उसने खुशी-खुशी परमेश्‍वर की बात मानी और उसे पूरा भरोसा था कि इसके लिए यहोवा उसे ज़रूर आशीष देगा।​—प्रेषितों 7:2, 3.

परमेश्‍वर की आज्ञा मानने के साथ-साथ सारा एक अच्छी पत्नी भी थी। सारा ने कभी-भी घर की बागडोर अपने हाथ में लेने और मुखिया बनने की कोशिश नहीं की। इसके बजाय, वह दिल से अपने पति की इज़्ज़त करती थी और परिवार की देखभाल करने में उसका प्यार से सहयोग देती थी। इस तरह, सारा ने अपने अच्छे गुणों से अपने अंदर की खूबसूरती बढ़ायी।​—1 पतरस 3:1-6.

सारा के जैसे गुण बढ़ाने से आज पत्नियों को क्या फायदा होगा? जिल की शादी को 30 से ज़्यादा साल हो गए हैं और वह अपनी शादी से बहुत खुश है। वह कहती है, “सारा के उदाहरण से मैंने सीखा कि मैं बेझिझक अपने पति से बात कर सकती हूँ और उन्हें खुलकर अपनी राय बता सकती हूँ। लेकिन वे परिवार के मुखिया हैं और इस नाते उन्हें परिवार के लिए फैसला करने का हक है। वे जो भी फैसला लेते हैं, उसमें उनका साथ देना मेरी ज़िम्मेदारी है।”

सारा से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। लेकिन सबसे अच्छी बात हम यह सीखते हैं कि सारा ने अपनी खूबसूरती की वजह से कभी घमंड नहीं किया। (उत्पत्ति 12:10-13) इसके बजाय, वह नम्र रही और उसने सुख-दुख में अब्राहम का पूरा-पूरा साथ दिया। इसमें कोई शक नहीं कि अब्राहम और सारा वफादार और नम्र होने के साथ-साथ एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे। वे वाकई एक-दूसरे के लिए आशीष साबित हुए!

10-16 फरवरी

पाएँ बाइबल का खज़ाना | उत्पत्ति 15-17

“यहोवा ने अब्राम और सारै का नाम क्यों बदल दिया?”

इंसाइट-1 पेज 817

दोष, दोष निकालना

इंसानों की बात करें, तो उनके काम करने के तरीके और उनकी बनायी चीज़ों में अकसर दोष पाया जाता है। वह इसलिए कि सभी इंसानों को आदम से विरासत में पाप मिला है और उनमें दोष है। (रोम 5:12; भज 51:5) यहोवा में कोई दोष या खोट नहीं है, फिर भी वह ‘हमारी रचना अच्छी तरह जानता है और याद रखता है कि हम मिट्टी ही हैं।’ वह हम पर दया करता है। (भज 103:13, 14) नूह परमेश्‍वर की आज्ञा मानता था और उसका वफादार था। यहोवा की नज़र में “वह अपने ज़माने के लोगों से अलग था। उसका चालचलन बिलकुल बेदाग था।” (उत 6:9) परमेश्‍वर ने अब्राहम को आज्ञा दी, “मेरे सामने सही राह पर चलता रह और अपना चालचलन निर्दोष बनाए रख।” (उत 17:1) भले ही नूह और अब्राहम अपरिपूर्ण थे और उनकी मौत भी हुई, मगर यहोवा की नज़र में वे बेदाग थे क्योंकि “यहोवा दिल देखता है।” (1शम 16:7; कृपया 2रा 20:3 और 2इत 16:9 से तुलना करें।) परमेश्‍वर ने इसराएलियों से कहा, “तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की नज़र में निर्दोष बने रहना।” (व्य 18:13; 2शम 22:24) परमेश्‍वर ने अपने बेदाग और निर्दोष बेटे को फिरौती बलिदान के तौर पर दिया। (इब्र 7:26) इसी बलिदान के आधार पर वह उन लोगों को “नेक” या निर्दोष ठहराता है, जो उस बलिदान पर विश्‍वास करते हैं और उसके मुताबिक काम करते हैं। उन्हें निर्दोष ठहराते वक्‍त यहोवा अपने स्तरों से समझौता नहीं करता, क्योंकि वह एक नेक और निर्दोष न्यायी है।​—रोम 3:25, 26.

इंसाइट-1 पेज 31 पै 1

अब्राहम

वक्‍त गुज़रता गया। अब्राहम और सारा को कनान में रहते करीब दस साल हो गए हैं और सारा अब भी बाँझ है। इस वजह से वह बिनती करती है कि अब्राहम उसकी मिस्री दासी हाजिरा के ज़रिए उसे बच्चा दे। अब्राहम ने सारा की बात मान ली और ईसा पूर्व 1932 में इश्‍माएल पैदा हुआ। उस वक्‍त अब्राहम 86 साल का था। (उत 16:3, 15, 16) फिर कुछ समय और गुज़रा। ईसा पूर्व 1919 में जब अब्राहम 99 साल का था, तो यहोवा ने आज्ञा दी कि उसका और उसके घराने के सारे आदमियों का खतना किया जाए। यहोवा ने अब्राहम के साथ जो खास करार किया था, खतना उस बात की निशानी ठहरता। इसी मौके पर यहोवा ने अब्राम का नाम बदलकर अब्राहम रखा, क्योंकि जैसा यहोवा ने कहा, “मैं तुझे बहुत-सी जातियों का पिता बनाऊँगा।” (उत 17:5, 9-27; रोम 4:11) इसके कुछ ही समय बाद, अब्राहम के घर तीन स्वर्गदूत आए और उसने यहोवा के नाम से उनका आदर-सत्कार किया। स्वर्गदूतों ने उसे यहोवा का संदेश दिया कि सारा अगले साल गर्भवती होगी और एक बेटे को जन्म देगी।​—उत 18:1-15.

प्र09 2/1 पेज 13, अँग्रेज़ी

क्या नाम कोई मायने रखता है?

परमेश्‍वर भविष्य में होनेवाली किसी बात या घटना को दर्शाने के लिए कुछ लोगों के नाम बदल देता था। जैसे, अब्राम के नाम का मतलब है, “पिता ऊँचा किया गया है।” यहोवा ने उसका नाम बदलकर अब्राहम रख दिया जिसका मतलब है, “भीड़ का पिता।” अपने नाम के मुताबिक अब्राहम वाकई बहुत-सी जातियों का पिता बना। (उत्पत्ति 17:5, 6) उसी तरह, अब्राहम की पत्नी का नाम सारै था, जिसका शायद मतलब है, “झगड़ालू।” लेकिन फिर यहोवा ने उसका नाम “सारा” रखा जिसका मतलब है, “राज-घराने की औरत।” इससे मालूम पड़ता है कि वह राजाओं की पुरखिन बनती। ज़रा सोचिए, यह नाम पाकर सारा कितनी खुश हुई होगी!​—उत्पत्ति 17:15, 16.

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इंसाइट-1 पेज 460-461

घटनाओं का क्रम

यहोवा ने अब्राम (अब्राहम) से कहा, “तू एक बात पक्के तौर पर जान ले कि तेरा वंश पराए देश में परदेसी बनकर रहेगा और वहाँ के लोग उससे गुलामी करवाएँगे और 400 साल तक उसे सताते रहेंगे।” (उत 15:13; कृपया प्रेष 7:6, 7 भी देखें।) यहोवा ने यह बात वादा किए गए “वंश” यानी इसहाक के जन्म से पहले कही थी। ईसा पूर्व 1932 में अब्राम को मिस्री दासी हाजिरा से एक बेटा हुआ, जिसका नाम इश्‍माएल था। फिर ईसा पूर्व 1918 में इसहाक पैदा हुआ। (उत 16:16; 21:5) ईसा पूर्व 1513 में जब अब्राहम के वंशज मिस्र की गुलामी से निकले, तो उनके ‘सताए जाने’ का दौर खत्म हुआ। (उत 15:14) अगर हम इस घटना से 400 साल पीछे गिनें, तो हम ईसा पूर्व 1913 में पहुँचते हैं। ऐसा मालूम होता है कि इसहाक पराए देश में “परदेसी” था। उस वक्‍त वह करीब पाँच साल का था और उसका दूध छुड़ाया जा रहा था। इसी मौके पर 19 साल के इश्‍माएल ने उसकी “खिल्ली” उड़ायी। इस घटना से वंश के सताए जाने का दौर शुरू हुआ, ठीक जैसे भविष्यवाणी की गयी थी। (उत 21:8, 9) आज भले ही शायद कुछ लोग सोचें, ‘इसमें कौन-सी बड़ी बात है कि इश्‍माएल ने अब्राहम के वारिस की खिल्ली उड़ायी?’ लेकिन सच तो यह है कि कुलपिताओं के ज़माने में यह कोई मामूली बात नहीं थी। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि जब सारा ने इश्‍माएल की हरकत पर गौर किया, तो उसने तुरंत अब्राहम से कहा कि वह हाजिरा और उसके बेटे को घर से निकाल दे। परमेश्‍वर ने भी अब्राहम को सारा की बात मानने के लिए कहा। (उत 21:10-13) बाइबल में इस घटना की एक-एक बात क्यों दर्ज़ की गयी? क्योंकि इससे पता चलता है कि वंश के 400 साल तक सताए जाने का दौर कब शुरू हुआ। यह दौर तब जाकर खत्म हुआ जब इसराएलियों को मिस्र की गुलामी से आज़ाद कराया गया।​—गल 4:29.

इंसाइट-1 पेज 778 पै 4

मिस्र से इसराएलियों का निकलना

“चौथी पीढ़ी।” हमें यह याद रखना चाहिए कि यहोवा ने अब्राहम से कहा था कि उसके वंशजों की चौथी पीढ़ी कनान वापस आएगी। (उत 15:16) यह सच है कि दर्ज़ रिकॉर्ड के मुताबिक उस ज़माने के लोगों की उम्र बहुत लंबी होती थी। फिर भी, अब्राहम से किए गए करार के लागू होने से लेकर इसराएलियों के मिस्र से आज़ाद होने तक, यानी 430 सालों में चार से भी ज़्यादा पीढ़ियाँ आयीं। लेकिन अगर इसराएलियों के मिस्र में रहने की बात करें, तो वे वहाँ सिर्फ 215 साल रहे। इस हिसाब से अगर हम इसराएल के एक गोत्र का उदाहरण लें यानी लेवी गोत्र का, तो मिस्र में रहते वक्‍त उसकी ‘चार पीढ़ियों’ के लोग ये थे: (1) लेवी, (2) कहात, (3) अमराम और (4) मूसा।​—निर्ग 6:16, 18, 20.

17-23 फरवरी

पाएँ बाइबल का खज़ाना | उत्पत्ति 18-19

“‘सारी दुनिया का न्याय करनेवाला’ सदोम और अमोरा का नाश करता है”

प्र17.04 पेज 18 पै 1

“सारी दुनिया का न्याय करनेवाला” हमेशा वही करता है जो सही है

“क्या सारी दुनिया का न्याय करनेवाला कभी अन्याय कर सकता है?” (उत्प. 18:25) यह सवाल अब्राहम ने किया था। क्या उस वफादार आदमी के मन में कोई शक था कि परमेश्‍वर न्याय नहीं करता? बिलकुल नहीं। इसके बजाय, उसके सवाल से पता चलता है कि उसे यहोवा पर भरोसा था कि वह सदोम और अमोरा के मामले में सच्चा न्याय करेगा। अब्राहम यह “सोच भी नहीं सकता” था कि यहोवा ‘दुष्ट के साथ-साथ नेक जन को मार डालेगा।’ आगे चलकर यहोवा ने अपने बारे में यह बताया, “वह चट्टान है, उसका काम खरा है, क्योंकि वह जो कुछ करता है न्याय के मुताबिक करता है। वह विश्‍वासयोग्य परमेश्‍वर है जो कभी अन्याय नहीं करता, वह नेक और सीधा-सच्चा है।”​—व्यव. 31:19; 32:4.

प्र18.08 पेज 30 पै 4

सब्र​—उम्मीद मत छोड़िए

इसमें कोई शक नहीं कि सब्र रखने के मामले में यहोवा सबसे बेहतरीन मिसाल है। (2 पत. 3:15) बाइबल में ऐसे कई ब्यौरे दर्ज़ हैं, जिनमें यहोवा ने बहुत सब्र रखा। (नहे. 9:30; यशा. 30:18) याद कीजिए कि जब अब्राहम ने सदोम को नाश करने के बारे में यहोवा के फैसले पर सवाल किया, तो यहोवा उसके साथ कैसे पेश आया। पहली बात, जब अब्राहम बोल रहा था, तो यहोवा ने उसकी बात बीच में ही नहीं काटी। इसके बजाय जितनी बार अब्राहम ने सवाल किया या अपनी चिंता ज़ाहिर की, उतनी बार यहोवा ने सब्र से उसकी सुनी। दूसरी बात, यहोवा ने उसके शब्द दोहराए, जो दिखाता है कि उसने ध्यान से अब्राहम की बात सुनी। फिर उसने अब्राहम को यकीन दिलाया कि अगर सदोम में सिर्फ दस नेक लोग भी होंगे, तो वह शहर का नाश नहीं करेगा। (उत्प. 18:22-33) किसी की बात को सब्र से सुनने और गुस्सा न होने में यहोवा क्या ही उम्दा मिसाल है!

प्र10 11/15 पेज 26 पै 12

यहोवा हमारा परमप्रधान है!

12 हम इस बात का यकीन रख सकते हैं कि यहोवा जल्द ही हुकूमत करने के अपने हक को सही साबित करेगा। वह हमेशा के लिए दुष्टता नहीं सहेगा और हम यह भी जानते हैं कि हम अंत के दिनों में जी रहे हैं। जलप्रलय के दौरान भी यहोवा ने दुष्टों का नाश किया था। उसने सदोम और अमोरा का, साथ ही फिरौन और उसकी सेना का भी खात्मा किया था। उसने सीसरा और उसकी सेना को, साथ ही अश्‍शूरी राजा सन्हेरीब और उसकी सेना को भी धूल चटायी थी। (उत्प. 7:1, 23; 19:24, 25; निर्ग. 14:30, 31; न्यायि. 4:15, 16; 2 राजा 19:35, 36) तो हम पूरा इत्मीनान रख सकते हैं कि यहोवा परमेश्‍वर अपने नाम की बदनामी और उसके साक्षियों के साथ बदसलूकी को बहुत दिनों तक बरदाश्‍त नहीं करेगा। इसके अलावा, आज हम यीशु की मौजूदगी और इस दुष्ट दुनिया की व्यवस्था के अंत की निशानियों को अपनी आँखों से देख रहे हैं।​—मत्ती 24:3.

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प्र88 5/15 पेज 23 पै 4-5, अँग्रेज़ी

क्या किसी ने परमेश्‍वर को देखा है?

अब हम समझ सकते हैं कि क्यों अब्राहम, इंसान का रूप धारण करनेवाले स्वर्गदूत से इस तरह बात कर सकता था मानो वह यहोवा परमेश्‍वर से बात कर रहा हो। इस स्वर्गदूत को खुद यहोवा ने भेजा था और उसने यहोवा का संदेश शब्द-ब-शब्द अब्राहम को सुनाया। इस वजह से बाइबल बताती है कि “यहोवा अब्राहम के सामने प्रकट हुआ।”​—उत्पत्ति 18:1.

टेलीफोन या रेडियो से एक इंसान की आवाज़, दूसरे इंसान तक सही-सही पहुँच सकती है। उसी तरह स्वर्गदूतों के ज़रिए परमेश्‍वर का संदेश इंसानों तक ठीक-ठीक पहुँच सकता है। तभी अब्राहम, मूसा, मानोह और दूसरे सेवक स्वर्गदूतों से इस तरह बात कर पाए मानो वे सीधे-सीधे परमेश्‍वर से बात कर रहे हों। हालाँकि वे इंसानों का रूप धारण करनेवाले उन स्वर्गदूतों को और उनके ज़रिए यहोवा की महिमा देख पाए, मगर उन्होंने यहोवा को नहीं देखा। इस तरह प्रेषित यूहन्‍ना की यह बात सच साबित हुई कि “किसी इंसान ने परमेश्‍वर को कभी नहीं देखा।” (यूहन्‍ना 1:18) इन बातों के आधार पर कहा जा सकता है कि अब्राहम, मूसा और मानोह ने यहोवा को नहीं मगर उसके भेजे हुए स्वर्गदूतों को देखा था।

प्र19.06 पेज 20 पै 3

चिंताओं का सामना करने में दूसरों की मदद कीजिए

3 यह सच है कि सदोम का इलाका बहुत उपजाऊ था, लेकिन वहाँ के लोग घिनौने अनैतिक काम करते थे। (2 पतरस 2:7, 8 पढ़िए।) लूत ने ऐसे इलाके में बसने का फैसला करके बड़ी भूल की और इसकी उसे भारी कीमत चुकानी पड़ी। (उत्प. 13:8-13; 14:12) ऐसा मालूम होता है कि लूत की पत्नी को उस शहर या वहाँ के कुछ लोगों से इतना लगाव हो गया था कि उसने यहोवा की आज्ञा तोड़ दी। जब यहोवा ने उस इलाके पर आग और गंधक बरसायी, तो वह अपनी जान गँवा बैठी। ज़रा लूत की दो बेटियों के बारे में भी सोचिए। जिन आदमियों से उनकी सगाई हुई थी, वे सदोम में ही मर गए। लूत ने अपना घर, अपनी संपत्ति और अपनी प्यारी पत्नी को खो दिया। (उत्प. 19:12-14, 17, 26) इस मुश्‍किल-भरे दौर में यहोवा ने कैसे उसके साथ सब्र रखा? आइए देखें।

24 फरवरी–1 मार्च

पाएँ बाइबल का खज़ाना | उत्पत्ति 20-21

“यहोवा हमेशा अपने वादे पूरे करता है”

जन17 अंक5 पेज 14-15

परमेश्‍वर ने उसे “राज-घराने की औरत” कहा

क्या सारा इसलिए हँसी कि उसे यहोवा पर विश्‍वास नहीं था? बिलकुल नहीं। शास्त्र में लिखा है, “विश्‍वास ही से सारा ने गर्भवती होने की शक्‍ति पायी, हालाँकि उसके बच्चे पैदा करने की उम्र बीत चुकी थी क्योंकि उसने माना था कि जिस परमेश्‍वर ने वादा किया है वह विश्‍वासयोग्य है।” (इब्रानियों 11:11) सारा यहोवा को जानती थी, उसे पता था कि वह अपना कोई भी वादा पूरा कर सकता है। हम सभी को परमेश्‍वर पर सारा के जैसा विश्‍वास होना चाहिए। हमें परमेश्‍वर को अच्छी तरह जानना चाहिए। जब हम बाइबल से उसके बारे में जानेंगे, तो समझ पाएँगे कि सारा का परमेश्‍वर पर इस तरह विश्‍वास करना क्यों सही था। यहोवा वाकई वफादार परमेश्‍वर है और अपना हर वादा पूरा करता है। कभी-कभी तो वह अपना वादा कुछ इस तरह पूरा कर सकता है कि हमें हैरानी हो या शायद हमें अब्राहम की तरह हँसी आए।

“सारा की बात मान”

आखिरकार 90 की उम्र में सारा ने वह मुबारक दिन देखा, जिसके लिए वह सारी उम्र तरसती रही। उसने अपने प्यारे पति को एक बेटा दिया! इस वक्‍त अब्राहम 100 साल का है। उसने बच्चे का नाम इसहाक यानी “हँसी” रखा, जैसे परमेश्‍वर ने कहा था। सोचिए कि थकी होने पर भी सारा का चेहरा कैसे खुशी से खिल उठता है, जब वह कहती है, “परमेश्‍वर ने मुझे हँसते-मुस्कुराते जीने की वजह दी है। अब मेरे बारे में जो कोई सुनेगा, उसके चेहरे पर भी हँसी खिल उठेगी।” (उत्पत्ति 21:6) उसे यहोवा से चमत्कार के ज़रिए जो तोहफा मिला है, उससे उसे आखिरी साँस तक खुशियाँ मिलती रहेंगी, मगर उस पर काफी ज़िम्मेदारियाँ भी आएँगी।

जब इसहाक 5 साल का होता है, तब उसके माता-पिता उसके दूध छुड़ाए जाने पर एक दावत रखते हैं। लेकिन इस दिन सभी खुश नहीं हैं। ब्यौरा बताता है कि सारा “गौर करती रही” कि 19 साल का इश्‍माएल इसहाक के साथ बुरा व्यवहार कर रहा है, वह उसकी खिल्ली उड़ा रहा है। यह कोई मामूली हँसी-मज़ाक नहीं है। सदियों बाद परमेश्‍वर की प्रेरणा से पौलुस ने लिखा कि इश्‍माएल का यह व्यवहार ज़ुल्म था। सारा समझ जाती है कि इस खिल्ली का क्या मतलब है। यह असल में उसके बेटे के लिए एक बड़ा खतरा है। सारा जानती है कि इसहाक उसका बेटा ही नहीं, एक चुना हुआ व्यक्‍ति भी है, जो परमेश्‍वर के मकसद में एक बड़ी भूमिका निभानेवाला है। इस वजह से वह हिम्मत जुटाकर अब्राहम से साफ-साफ बात करती है। वह उससे हाजिरा और इश्‍माएल को दूर भेज देने के लिए कहती है।​—उत्पत्ति 21:8-10; गलातियों 4:22, 23, 29.

क्या अब्राहम मान जाता है? शास्त्र में लिखा है, “सारा की यह बात अब्राहम को बहुत बुरी लगी।” वह इश्‍माएल से बहुत प्यार करता है। उसकी भावनाएँ अपने बच्चे के लिए उमड़ आती हैं, इसलिए वह मामले को ठीक से नहीं समझ पा रहा है। लेकिन यहोवा मामले को अच्छी तरह समझता है, इसलिए वह अब्राहम को सलाह देता है, “सारा तेरी दासी और उस लड़के के बारे में जो कह रही है, उससे तुझे बुरा नहीं लगना चाहिए। सारा की बात मान, क्योंकि तुझसे जिस वंश का वादा किया गया है वह इसहाक से आएगा।” यहोवा अब्राहम को यह भी भरोसा दिलाता है कि हाजिरा और उसके लड़के की भी ज़रूरतें पूरी की जाएँगी। अब्राहम यहोवा पर विश्‍वास करता है और उसका कहा मानता है।​—उत्पत्ति 21:11-14.

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जन17 अंक3 पेज 12, फु.

‘तू इतनी खूबसूरत है’

सारा अब्राहम की सौतेली बहन थी। उन दोनों का पिता तिरह ही था, मगर उनकी माँएँ अलग थीं। (उत्पत्ति 20:12) हालाँकि आज ऐसी शादी सही नहीं मानी जाती, लेकिन हमें ध्यान रखना चाहिए कि उस वक्‍त बहुत कुछ अलग था। उस समय इंसानों की उम्र काफी लंबी होती थी और वे बहुत हट्टे-कट्टे हुआ करते थे, क्योंकि भले ही वे परिपूर्ण नहीं थे, लेकिन परिपूर्णता को खोए ज़्यादा समय भी नहीं हुआ था। इस वजह से करीबी रिश्‍तेदारों में शादी करने से बच्चों में बीमारियाँ या कोई दूसरी खामी होने का खतरा नहीं था। लेकिन अब्राहम के ज़माने से करीब 400 साल बाद लोगों की सेहत और उम्र पहले जैसी नहीं रही। इस वजह से परमेश्‍वर ने इसराएलियों को जो कानून दिया, उसमें करीबी रिश्‍तेदारों के साथ लैंगिक संबंध रखने की मनाही की गयी थी।​—लैव्यव्यवस्था 18:6.

प्र89 7/1 पेज 20 पै 9, अँग्रेज़ी

अब्राहम​—परमेश्‍वर से दोस्ती करनेवालों के लिए एक मिसाल!

9 अब्राम ने एक और तरीके से अपने विश्‍वास का सबूत दिया। इस बारे में बाइबल बताती है, “अब्राम ने वहाँ यहोवा के लिए एक वेदी बनायी।” (उत्पत्ति 12:7) मुमकिन है कि उसने इस वेदी पर जानवर का बलिदान चढ़ाया हो, क्योंकि जिस इब्रानी शब्द का अनुवाद “वेदी” किया गया है, उसका मतलब है, “बलिदान की जगह।” बाद में अब्राम ने जगह-जगह डेरा डाला। उन जगहों में उसने अपने विश्‍वास का सबूत देने के लिए वेदियाँ बनायीं और वह “यहोवा का नाम पुकारने लगा।” (उत्पत्ति 12:8; 13:18; 21:33) जिन इब्रानी शब्दों का अनुवाद “नाम पुकारने लगा” किया गया है, उनका मतलब, “नाम का ऐलान (प्रचार) करना” भी है। अब्राम के घराने के लोगों और कनानियों ने ज़रूर उसे अपने परमेश्‍वर यहोवा का नाम निडर होकर ऐलान करते सुना होगा। (उत्पत्ति 14:22-24) उसी तरह, आज जो लोग परमेश्‍वर से दोस्ती करना चाहते हैं, उन्हें विश्‍वास के साथ परमेश्‍वर का नाम पुकारना होगा। इसमें प्रचार काम शामिल है। दूसरे शब्दों में कहें तो हमें ‘परमेश्‍वर को तारीफ का बलिदान हमेशा चढ़ाना है, यानी अपने होंठों का फल जो उसके नाम का सरेआम ऐलान करते हैं।’​—इब्रानियों 13:15; रोमियों 10:10.

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