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माता-पिता के विश्वास का प्रतिफल मिलाप्रहरीदुर्ग—1997 | मई 1
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योकेबेद की बेटी, मिरियम यह देखने के लिए आस-पास ही रही कि आगे क्या होगा। तब फ़िरौन की बेटी नील नदी में नहाने आयी।a शायद योकेबेद जानती थी कि राजकुमारी नदी के इस तीर पर आया करती है और जानबूझकर उसने टोकरी को वहाँ रखा हो जहाँ वह आसानी से दिख जाए। बात जो भी हो, फ़िरौन की बेटी की नज़र जल्द ही कांसों के बीच रखी उस टोकरी पर पड़ गयी, और उसने अपनी एक दासी को उसे ले आने के लिए भेजा। जब उसने उसके अन्दर एक रोता हुआ बालक देखा, तब उसे तरस आ गया। वह समझ गयी कि यह किसी इब्री का बालक होगा। लेकिन, वह इतने सुंदर बालक की हत्या कैसे होने देती? मानवी ममता के अलावा, फ़िरौन की बेटी शायद मिस्रियों के इस प्रचलित विश्वास से प्रभावित हुई हो कि स्वर्ग में प्रवेश इस पर निर्भर है कि व्यक्ति ने अपने जीवन में कितने कृपा के काम किए हैं।b—निर्गमन २:५, ६.
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माता-पिता के विश्वास का प्रतिफल मिलाप्रहरीदुर्ग—1997 | मई 1
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b मिस्री मानते थे कि मृत्यु होने पर व्यक्ति की आत्मा को ओसिरिस की उपस्थिति में ऐसी स्वीकारोक्तियाँ करनी होती हैं जैसे “मैंने किसी मनुष्य को पीड़ित नहीं किया है,” “मैंने बच्चों के मुँह से दूध नहीं छीना है,” और “मैंने भूखे को रोटी दी है और प्यासे को पानी दिया है।”
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