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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1993
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पाठकों से प्रश्‍न

यदि एक मसीही बीमार है या यात्रा कर रहा है और इस कारण स्मारक समारोह में आने में असमर्थ है, तो क्या उसे एक महीने बाद इसे मनाना चाहिए?

प्राचीन इस्राएल में पहले महीने, निसान (या, अबीब) के १४वें दिन वार्षिक रूप से फसह मनाया जाता था। लेकिन हम गिनती ९:१०, ११ में एक ख़ास प्रबन्ध पाते हैं: “इस्राएलियों से कह, कि चाहे तुम लोग चाहे तुम्हारे वंश में से कोई भी किसी लोथ के कारण अशुद्ध हो, वा दूर की यात्रा पर हो, तौभी वह यहोवा के लिये फसह को माने। वे उसे दूसरे महीने [इय्यर, या ज़िव] के चौदहवें दिन को गोधूलि के समय मानें; और फसह के बलिपशु के मांस को अख़मीरी रोटी और कड़ुए सागपात के साथ खाएं।”

ध्यान दीजिए कि इस प्रबन्ध ने फसह के लिए दो वैकल्पिक तारीख़ें नहीं निर्धारित कीं (निसान १४ या ज़िव १४), जिसमें से कोई इस्राएली या घराना सुविधा के अनुसार चुनने के लिए स्वतंत्र था। दूसरे महीने में फसह भोज का प्रबन्ध सीमित था। यह उस इस्राएली के लिए अपवाद था जो निसान १४ के दिन रस्मी तौर से अशुद्ध था या उस जगह से बहुत दूर था जहाँ नियमित समारोह आयोजित किया गया था।

इसके व्याप्त रूप से इस्तेमाल किए जाने की केवल एक लेखबद्ध घटना उस समय की है जब वफ़ादार राजा हिजकिय्याह ने अख़मीरी रोटी के पर्ब्ब की प्रथा को दोबारा प्रचलित किया। पहले महीने के लिए तैयार होने का कोई समय नहीं था (याजक तैयार नहीं थे न ही लोग एकत्रित थे), तो यह दूसरे महीने के १४वें दिन आयोजित किया गया।—२ इतिहास २९:१७; ३०:१-५.

ऐसी अपवादिक परिस्थितियों के अलावा, यहूदी लोग फसह को परमेश्‍वर द्वारा निर्धारित तारीख़ पर मनाते थे। (निर्गमन १२:१७-२०, ४१, ४२; लैव्यव्यवस्था २३:५) इस तिथि को गंभीरता से लेते हुए यीशु और उसके चेलों ने नियम के अनुसार मनाया। लूका विवरण देता है: “तब अखमीरी रोटी के पर्ब्ब का दिन आया, जिस में फसह का मेम्ना बली करना अवश्‍य था। और यीशु ने पतरस और यूहन्‍ना को यह कहकर भेजा, कि जाकर हमारे खाने के लिये फसह तैयार करो।”—लूका २२:७, ८.

उस अवसर पर यीशु ने वार्षिक समारोह स्थापित किया जिसे मसीही लोग प्रभु संध्या भोज के नाम से जानते हैं। मसीहियों का इसमें उपस्थित होना महत्त्वपूर्ण है। यहोवा के गवाहों के लिए यह साल में सबसे महत्त्वपूर्ण घटना है। यीशु के शब्द दिखाते हैं क्यों; उसने कहा: “मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।” (लूका २२:१९) इसलिए, प्रत्येक यहोवा के गवाह को महीनों पहले इस तारीख़ को अन्य किसी नियोजित कार्यों से मुक्‍त रखने की योजना बनानी चाहिए। प्रभु संध्या भोज मंगलवार, अप्रैल ६, १९९३ को स्थानीय रूप से सूरज ढलने के बाद मनाया जाएगा।

असाधारण मामलों में किसी अनदेखी परिस्थिति के कारण, जैसे कि बीमारी या यात्रा समस्याएं, एक मसीही को उसकी योजना के अनुसार उपस्थित होने से रोक सकती हैं। ऐसी परिस्थिति में क्या किया जाना चाहिए?

समारोह के दौरान अख़मीरी रोटी और लाल दाखरस फिराया जाता है, और जो परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा से अभिषिक्‍त किए गए हैं और स्वर्ग में जीवन के लिए चुने गए हैं, वे उसे खाते और पीते हैं। (मत्ती २६:२६-२९; लूका २२:२८-३०) यदि वह व्यक्‍ति जो इसे हर साल खाता और पीता है इस साल घर में या अस्पताल में बीमार पड़ा है, तो स्थानीय कलीसिया के प्राचीन यह व्यवस्था करेंगे कि उन में से एक जन कुछ रोटी और दाखरस बीमार व्यक्‍ति के पास ले जाए, उस विषय पर उपयुक्‍त शास्त्रवचनों की चर्चा करे, और प्रतीकों को परोसे। यदि एक अभिषिक्‍त मसीही अपनी गृह कलीसिया से दूर है, तो उसे उस क्षेत्र की एक कलीसिया में जाने का प्रबन्ध करना चाहिए जहाँ वह उस दिन होगा।

इसे ध्यान में रखते हुए, यह केवल बहुत अपवादिक परिस्थितियों में होगा कि एक अभिषिक्‍त मसीही को प्रभु संध्या भोज ३० दिन (एक चन्द्र महीना) बाद, गिनती ९:१०, ११ की आज्ञा और २ इतिहास ३०:१-३, १५ के अनुरूप मनाना पड़े।

यीशु की “अन्य भेड़” वर्ग के लोग, जिनकी आशा परादीस पृथ्वी पर अनन्तकाल का जीवन है, रोटी और दाखरस को खाने और पीने की आज्ञा के अधीन नहीं हैं। (यूहन्‍ना १०:१६, NW) वार्षिक समारोह में उपस्थित होना महत्त्वपूर्ण है, लेकिन वे प्रतीकों को खाते और पीते नहीं। सो यदि उनमें से एक बीमार है या यात्रा कर रहा है और इस कारण उस शाम किसी कलीसिया के साथ नहीं है, तो वह व्यक्‍तिगत रूप से उपयुक्‍त शास्त्रवचन (यीशु द्वारा समारोह की स्थापना के वृत्तान्त को भी) पढ़ सकता है और संसार भर में हो रही घटना पर यहोवा की आशिष के लिए प्रार्थना कर सकता है। लेकिन इस स्थिति में एक महीने बाद एक सभा या एक ख़ास बाइबल चर्चा के लिए किसी अतिरिक्‍त प्रबन्ध की कोई ज़रूरत नहीं है।

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