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  • “यहोवा उन्हें जानता है जो उसके अपने हैं”
    प्रहरीदुर्ग—2014 | जुलाई 15
    • 4. (क) पौलुस को किस बात पर पूरा भरोसा था? (ख) पौलुस ने तीमुथियुस से क्या कहा?

      4 पौलुस को पूरा भरोसा था कि यहोवा पहचान सकता है कि कौन ढोंगी हैं और कौन उसके सच्चे उपासक। पौलुस का यकीन तीमुथियुस को लिखे उन शब्दों से ज़ाहिर होता है, जो उसने परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखे थे। पहले उसने बताया कि बगावती लोग किस तरह मंडली के कुछ लोगों के विश्‍वास को तबाह कर रहे हैं। फिर उसने कहा: “मगर परमेश्‍वर ने जो पक्की नींव डाली है वह मज़बूत बनी रहती है और उस पर ये वचन एक मुहर की तरह लिखे हैं: ‘यहोवा उन्हें जानता है जो उसके अपने हैं’ और ‘हर कोई जो यहोवा का नाम लेता है वह बुराई को त्याग दे।’”—2 तीमु. 2:18, 19.

  • “यहोवा उन्हें जानता है जो उसके अपने हैं”
    प्रहरीदुर्ग—2014 | जुलाई 15
    • 6 पौलुस ने शब्द “परमेश्‍वर ने जो पक्की नींव डाली है,” उसी आयत में कहे जिसमें उसने गिनती 16:5 में कहे मूसा के शब्दों का हवाला दिया था, जो मूसा ने कोरह और उसके साथियों के बारे में कहे थे। इस तरह, पौलुस तीमुथियुस को याद दिला रहा था कि यहोवा जानता था कि मंडली में क्या हो रहा है। यहोवा इन बगावती लोगों को मंडली को हमेशा-हमेशा के लिए कोई नुकसान पहुँचाने नहीं देगा। जिस तरह कोरह यहोवा के मकसद को बदल नहीं सका, उसी तरह बगावत करनेवाले ये लोग भी यहोवा का मकसद बदल नहीं सकते थे। पौलुस ने पूरी तरह तो नहीं समझाया कि “परमेश्‍वर ने जो पक्की नींव डाली है” इन शब्दों का क्या मतलब था। लेकिन पौलुस ने जो कहा, उससे तीमुथियुस को यहोवा पर भरोसा रखने में मदद ज़रूर मिली।

  • “यहोवा उन्हें जानता है जो उसके अपने हैं”
    प्रहरीदुर्ग—2014 | जुलाई 15
    • 8, 9. “परमेश्‍वर ने जो पक्की नींव डाली है,” उस पर खुदी बातों से हम क्या सीख सकते हैं?

      8 पुराने ज़माने में, किसी इमारत की नींव पर एक संदेश लिखवाना या खुदवाना आम बात थी। यह अकसर इसलिए किया जाता था ताकि यह पता लग सके कि उस इमारत को किसने बनाया था या कौन उसका मालिक था। पौलुस बाइबल का पहला ऐसा लेखक था, जिसने इस दस्तूर का ज़िक्र किया।a दूसरा तीमुथियुस 2:19 में पौलुस ने “परमेश्‍वर [की जिस] पक्की नींव” का ज़िक्र किया, उस पर दो बातें मुहर की तरह खुदी हुई हैं: (1) “यहोवा उन्हें जानता है जो उसके अपने हैं,” और (2) “हर कोई जो यहोवा का नाम लेता है वह बुराई को त्याग दे।” इससे हमें गिनती 16:5 में दर्ज़ बात याद आती है।—पढ़िए।

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