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बाशान एक उर्वर स्रोतप्रहरीदुर्ग—1990 | अप्रैल 1
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फ़सल के समय, मज़दूर खड़े गेहूँ को एक टेढ़ी हँसिए से काटते थे, लोहे की उस हँसिए की तरह, जो ऊपर दिखायी देती है, जिसकी लकड़ी की हत्थी गुम है। (व्यवस्थाविवरण १६:९, १०; २३:२५) फिर डंठलों को इकट्ठा किया जाकर उन्हें खलिहान में लाया जाता था, जहाँ दानों को निकालने के लिए एक लकड़ी से बनी गाड़ी (जिसके नीचे पत्थर लगाए गए थे) उनके ऊपर से चलायी जाती थी। (रूत २:२-७, २३; ३:३, ६; यशायाह ४१:१५) जब आप इसकी तस्वीर को देखते हैं, जो कि गोलन ऊँचाईयों में खींची गयी थी, आप शायद परमेश्वर के सार्थक नियम पर मनन करेंगे: “दांवते समय, चलते हुए बैल का मुँह न बान्धना।”—व्यवस्थाविवरण २५:४; १ कुरिन्थियों ९:९.
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बाशान एक उर्वर स्रोतप्रहरीदुर्ग—1990 | अप्रैल 1
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[पेज 29 पर चित्र का श्रेय]
Pictorial Archive (Near Eastern History) Est.
Inset: Badè Institute of Biblical Archaeology
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