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  • “तू जो भी मन्‍नत माने उसे पूरा करना”
    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन)—2017 | अप्रैल
    • 7. (क) हन्‍ना ने क्या मन्‍नत मानी थी और क्यों? (ख) आगे क्या हुआ? (ग) हन्‍ना की मन्‍नत का शमूएल पर क्या असर पड़ता? (फुटनोट देखिए।)

      7 हन्‍ना ने भी अपनी ज़िंदगी के मुश्‍किल दौर में यहोवा से मन्‍नत मानी थी। वह बहुत दुखी और परेशान थी क्योंकि वह बाँझ थी। इस वजह से उस पर ताने कसे जाते थे और उसका मज़ाक उड़ाया जाता था। (1 शमू. 1:4-7, 10, 16) उसने यहोवा को अपने दिल का हाल बताया और उससे यह वादा किया, “हे सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा, अगर तू अपनी दासी की हालत पर नज़र करे और मुझ पर ध्यान देकर मेरी बिनती सुने और अपनी दासी को एक बेटा दे, तो हे यहोवा, मैं उसे तुझे दूँगी ताकि वह ज़िंदगी-भर तेरी सेवा करे। उसके सिर पर कभी उस्तरा नहीं चलेगा।”a (1 शमू. 1:11) यहोवा ने हन्‍ना की प्रार्थना सुनी। अगले साल हन्‍ना के एक बेटा हुआ जिसका नाम शमूएल रखा गया। हन्‍ना खुशी से फूली नहीं समायी! लेकिन वह परमेश्‍वर से किया अपना वादा भूली नहीं। उसने शमूएल के पैदा होने पर कहा, “मैंने यह बेटा यहोवा से माँगने पर पाया है।”—1 शमू. 1:20.

  • “तू जो भी मन्‍नत माने उसे पूरा करना”
    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन)—2017 | अप्रैल
    • a हन्‍ना ने वादा किया था कि अगर यहोवा उसे एक बेटा देगा तो वह ज़िंदगी-भर एक नाज़ीर रहेगा। इसका मतलब था कि उसका बेटा यहोवा की सेवा के लिए समर्पित होता और अलग किया जाता।—गिन. 6:2, 5, 8.

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